लेखिका द्वारा बहुत ही सटीक और सही मंथन हेतु बहुत साधुवाद | इसी तरह के नाटकों की वजह से ही तो कॉंग्रेस अब तक सत्ता मे है | मगर अब शायद जनता भी जागरूक हो गयी है और उसे पॉलिटिकल स्टंट और सच्चाई मे विभेद करना आ गया है | आशा करते हैं इस नाटक का पटाक्षेप आशानुरूप ही हो |
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इतना भी नही समझ पाते कि एक ओर तो हमारा सामना धर्म के नाम पर निर्दोषों का खून बहाने वालों उन लोगों से है जो धर्म और अधर्म में विभेद करना जानते ही नही और दूसरी ओर धर्म जाति के नाम पर हमें आपस में लड़वाकर ' ' फूट डालो, शासन करो '' की राजनीति करने वाले इन नराधम जननायकों से है.