एक भाषा का उपयोग करने वाला व्यक्ति यदि व्याकरण, वाक्यविन्यास, उच्चारण और विराम चिन्ह में किसी प्रकार से विचलित हो जाता है तो इसे कभी कभी त्रुटि कहा जाता है.
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लेकिन भाषा विज्ञान के सिलसिले में उनका सबसे पहला महत्वपूर्ण लेखन भाषा और समाज शीर्षक से (विराम चिन्ह में संकलित) 1948 में लिखा गया एक छोटा-सा लेख था।
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एक भाषा का उपयोग करने वाला व्यक्ति यदि व्याकरण, वाक्यविन्यास, उच्चारण और विराम चिन्ह में किसी प्रकार से विचलित हो जाता है तो इसे कभी कभी त्रुटि कहा जाता है.
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विराम चिन्ह न होने पर प्रश्नसूचक शब्द ही रचनाकार का मंतव्य तथा भाव स्पष्ट कर पाते हैं जबकि विराम चिन्ह हों तो बिना प्रश्नवाचक शब्द के भी भाव स्पष्ट हो जाता है.
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विराम चिन्ह न होने पर प्रश्नसूचक शब्द ही रचनाकार का मंतव्य तथा भाव स्पष्ट कर पाते हैं जबकि विराम चिन्ह हों तो बिना प्रश्नवाचक शब्द के भी भाव स्पष्ट हो जाता है.
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मेरा उस आलेख का मंतव्य मात्र इतना ही था कि विराम चिन्ह इस तरह लगें कि पूर्ण विराम वाक्य के अंत में इस तरह लगे कि उस का एक अभिन्न भाग बना रहे।
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मेरा उस आलेख का मंतव्य मात्र इतना ही था कि विराम चिन्ह इस तरह लगें कि पूर्ण विराम वाक्य के अंत में इस तरह लगे कि उस का एक अभिन्न भाग बना रहे।
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वह भी सही है क्यों कि कोई चालीस वर्ष पहले यह तय हुआ था कि विराम चिन्ह और अंक अंग्रेजी वाले ही प्रयोग किये जाएँ जिस से सभी भाषाओं में एक रूपता बनी रहे।
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वह भी सही है क्यों कि कोई चालीस वर्ष पहले यह तय हुआ था कि विराम चिन्ह और अंक अंग्रेजी वाले ही प्रयोग किये जाएँ जिस से सभी भाषाओं में एक रूपता बनी रहे।
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ये बात कहाँ से कैसे शुरू हुई ये मै नही जानती, बस आप सभी से नम्र निवेदन है की, अब इस बहस पर विराम चिन्ह लगायें और इसको यही खत्म करें.... ”