इसके विपरीत प्रतिवादीगण की ओर से आपत्ति प्रस्तुत की गयी और कहा गया कि मामले में वाद बिन्दु निर्धारित किये जा चुके है तथा वाद वादी की साक्ष्य हेतु नियत है, वादीगण मामले को जानबूझकर लम्बित करना चाहते है और अपीलीय न्यायालय द्वारा भी वादीगण की अपील निरस्त की जा चुकी है पुनः उसी बिन्दु को न्यायालय के समक्ष उठाकर मामले में विलम्ब करना चाहते है तथा उक्त संशोधन से वाद की प्रकृत्ति पूर्णतया बदल जायेगी।