पर वाल्मीकि की संस्कृत रामायण ही नहीं, अब तो तुलसी की रामायण भी करीब-करीब पाँच सौ साल पुरानी हो चुकी है और जब इतनी नई-नई और रोमाँचक कहानियाँ चारो तरफ बिखरी पड़ी हैं, तो राम-कथा में ही ऐसी क्या विशेशता है जो आज भी सोच और समाज के ताने-बाने तक को बदलने की क्षमता रखती है?
32.
प्राणजी बहुत मार्मिक रचना है आपकी शैली और शिल्प ने इस मे चार चाँद लगा दिये हैं इस कहानी का अर्थ भी आज का यथार्थ है लोग बनावटी चेहरे सजाये रहते हैं जो खुशी मे तो खूब मुस्कुराते हैं मगर मुसीबत पडने पर आँखें फेरते देर नहीं लगाते ये अपने पराये की माया को एक सशक्त कथानक के जरिये कितने कम शब्दों मे कहना बहुत बडी बात है येही लघू कथा की विशेशता है बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें