यदि हिन्दी चिट्ठाकारों में से १ ० % भी यह निर्णय ले लें कि हिन्दी के किसी विशेष पक्ष को मजबूत करने की जिम्मेदारी (अन्य कार्यों के अलावा) उनकी रहेगी, तो बड़ी आसानी से हिन्दी तर जायेगी।
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वर्तमान सरकार की नीति के विदेश, आर्थिक अथवा गृह नीति संबंधी किसी विशेष पक्ष की आलोचना करना निरूपयोगी ही है क् योंकि इसकी नीति का मूल आधार ही त्रुटिपूर्ण है और इसका अधिष् ठान ही दुर्बल सिद्धांतों पर आधारित है।
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कवि नेपाली के व्यक्तित्व की कई विशेषताएं थीं जिनमें उनके कात्य-सृजन एक विशेष पक्ष यह था कि वो देश और समाज में पनप रहे विविध समस्याओं को अपने गीतों का विषय बना महौल एक विचारों की क्रान्ति फैलाते रहे ।
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धर्म निरपेक्षता का अर्थ सरकार के कार्यो से है वह समाज के किसी भी समुदाय का विशेष पक्ष नही ले! समाज मे भी एक दूसरे के धार्मिक स्थलो का सम्मान की बात भी आनी चाहिए लेकिन ऐसा कहाँ हो पाता है?
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इसके लिए जहाँ एक ओर समाज की इस धारणा को बदलना होगा कि ज्योतिषी का अर्थ सर्वज्ञाता होना नहीं हैं वहीं दूसरी ओर एक ज्योतिषी को भी मिथ्या अभिमान का परित्याग कर अपनी कमियों को सहर्ष स्वीकार करना ओर जीवन के किसी एक विशेष पक्ष के बारे में अपने भविष्य ज्ञान को केन्द्रित करना होगा।
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इसके लिए जहाँ एक ओर समाज की इस धारणा को बदलना होगा कि ज्योतिषी का अर्थ सर्वज्ञाता होना नहीं हैं वहीं दूसरी ओर एक ज्योतिषी को भी मिथ्या अभिमान का परित्याग कर अपनी कमियों को सहर्ष स्वीकार करना ओर जीवन के किसी एक विशेष पक्ष के बारे में अपने भविष्य ज्ञान को केन्द्रित करना होगा।
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चीन और तिब्बत ही नहीं अनेको एशियाई देश उस समय मङ्गोल शासक कुब्ला खां के अधिन आ गया था दूसरा सच यह भी है कि उस समय मङ्गोल और तिब्बती एवं मङ्गोल और चीनी के बीच के सम्बन्ध का जो विशेष पक्ष रहा है उसका भी समीक्षा होनी चाहिए क्योकि उस तरह के सम्बन्धों में काफी विविधताएं थी।
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बहुत से शब्द ऐसे होते हैं जो अपने मूल अर्थ को त्यागकर किसी विशेष अर्थ, अथवा मूल अर्थ के किसी विशेष पक्ष तक ही सीमित हो जाते है, रूढ़ हो जाते हैं............. जैसे जो जाती, चलती है, उसे ‘ गौ ' कहते हैं, परन्तु यह शब्द ‘ गाय ' के अर्थ में रूढ़ है एवं आज किसी विषय पर जब विद्वत् जन विचारविमर्श करते है उसे ‘ गोष्ठी ' कहते हैं, परन्तु मूल में गोष्ठी वह स्थान होता है, जहाँ गायें बाँधी जाती हैं, रहती है, अर्थात् गोशाला।