वस्तुतः, भूमंडल पर प्रशासनिक और भौगोलिक सीमाओं की उपस्थिति के कारण विभिन्न स्थानों पर भिन्न परिस्थितियों का सृजन होता है जिनके कारण विश्वीय कर्म संभव नहीं हो सकता.
32.
उपरोक्त के अतिरिक्त, विश्वीय दृष्टिकोण से संपन्न स्थानीय कर्म केवल कर्म-स्थल हेतु ही उपयुक्त नहीं होता अपितु उसी प्रकार के अन्य स्थलों के लिए भी उपयोगी सिद्ध होता है.
33.
आपूर्ति-शृंखला परिषद, पिछले दस सालों में 700 से अधिक सदस्य कंपनियों, सरकारी, शैक्षिक और परामर्श समूहों की हिस्सेदारी के साथ कार्य कर रहा एक विश्वीय व्यापार संघ आपूर्ति-शृंखला परिचालन संदर्भ (एस सी ओ आर (
34.
शिक्षा समान नागरिक संहिता घर भूमि-प्रबंधन मान्यता नागरिक विकास चिकित्सा बीमा विश्वीय दृष्टिकोण उद्योग एवं व्यवसाय नियमन कृषि सेना का उपयोग यात्रा प्राधिकरण विचार-शीलता का एकीकरण सिद्धांत मत-मान शासन सभ्यता और संस्कृति आयात-निर्यात संसदीय शासन प्रणाली खाद्योत्पादन भू-प्रबंधन
35.
विश्वीय दृष्टिकोण से स्थानीय कर्म संलग्न होने से शासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित उत्पादों को देश में आयात की अनुमति प्राप्त ना होकर उन उत्पादों के देश में ही उत्पादन एवं लोगों द्वारा उपभोग उत्प्रेरित होता है.
36.
विश्वीय दृष्टिकोण से स्थानीय कर्म संलग्न होने से शासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विकसित उत्पादों को देश में आयात की अनुमति प्राप्त ना होकर उन उत्पादों के देश में ही उत्पादन एवं लोगों द्वारा उपभोग उत्प्रेरित होता है.
37.
विश्वीकरण में विश्व-स्तरीय कर्म अपनाया जाता है जो पूरी तरह अव्यवहारिक होता है जब कि विश्वीय दृष्टिकोण में केवल विकास का विश्वीय दर्शन अपनाया जाता है जिसे स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल किया जाकर स्थानीय कर्मों में उसका उपयोग किया जाता है.
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विश्वीकरण में विश्व-स्तरीय कर्म अपनाया जाता है जो पूरी तरह अव्यवहारिक होता है जब कि विश्वीय दृष्टिकोण में केवल विकास का विश्वीय दर्शन अपनाया जाता है जिसे स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल किया जाकर स्थानीय कर्मों में उसका उपयोग किया जाता है.
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विश्वीकरण में विश्व-स्तरीय कर्म अपनाया जाता है जो पूरी तरह अव्यवहारिक होता है जब कि विश्वीय दृष्टिकोण में केवल विकास का विश्वीय दर्शन अपनाया जाता है जिसे स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल किया जाकर स्थानीय कर्मों में उसका उपयोग किया जाता है.
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विश्वीकरण में विश्व-स्तरीय कर्म अपनाया जाता है जो पूरी तरह अव्यवहारिक होता है जब कि विश्वीय दृष्टिकोण में केवल विकास का विश्वीय दर्शन अपनाया जाता है जिसे स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल किया जाकर स्थानीय कर्मों में उसका उपयोग किया जाता है.