निराला के इन पंक्तियों के सामने रख देवताले को पढ़ते ही देवताले की विश्व-दृष्टि को लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं रहेगा।
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निराला के इन पंक्तियों के सामने रख देवताले को पढ़ते ही देवताले की विश्व-दृष्टि को लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं रहेगा।
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आज मार्क्सवाद कहानी की विषयवस्तु के रूप में नहीं, बल्कि कहानीकार की विश्व-दृष्टि के रूप में कहानी में अनुस्यूत रहता है।
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उसकी ईश्वर-दृष्टि एवं विश्व-दृष्टि में भी ब्रह्म, अद्वैत, शिव और शक्ति, माया, कर्मफल, पुनर्जन्म, मुक्ति, निर्वाण आदि संकल्पनाएं उन्हीं अर्थों में मिलती हैं।
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मार्क्सवादी विश्व-दृष्टि की एक अनन्य विशेषता है वर्गीय पक्षधरता, जो कथासाहित्य में कथा-पात्रों के प्रति लेखकीय सहानुभूति के रूप में व्यक्त होती है।
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यूरो-इंडियन चिन्तन से स्वतंत्र होकर हमारे लिए कला-रूप, सामाजिक संगठन, विश्व-दृष्टि, और क्रान्तिकारी नैतिकता संबंधी प्रश्न नया दबाव पैदा कर रहे थे।
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डॉ. रामविलास शर्मा जी ने साहित्य, परम्परा, जातीयता, इतिहास और विश्व-दृष्टि को लेकर इधर कुछ नए और बड़े सवाल उठाए हैं।
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' इसी तरह मुक्तिबोध ने लिखा है, ' तत्कालीन मानव संबंध, विश्व-दृष्टि तथा जीवन-मूल्यों के सर्वोच्च प्रतीक राम की मानवता हमें प्रभावित करती है।
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हम व्यक्तिवादी हों या समाजवादी, आस्तिक हों या नास्तिक, युवा हों या बुजुर्ग, अपने को गंभीरता से लेना हमारी विश्व-दृष्टि और विचारधारा का अभिन्न अंग होना चाहिए।
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सचपूछिए तो मैं कोई नई बात नहीं कह रही हूं सिर्फ उस बात को जरा बलदेकर कहरही हूं जिसे भारतीय विश्व-दृष्टि ने इतने प्रबल शब्दों में कहा था.