पिक्तशामक), बुधि को मेधावी बनानेवाले, ह्रदय के लिए हितकर, बलवर्धक, शुक्रवर्धक व विषनाशक है | कुम्हड़ा मस्तिष्क को बल व शांति प्रदान करता है | यह निद्राजनक है | अत: अनेक मनोविकार जैसे उन्माद (
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इसका स्वाद कड़वा होता है, जिसमें एक प्रकार क्षारीय तत्व-एन्ड्रोग्राफोलाइडस, कालमेघिन पायी जाती है जिसके पत्तियों का उपयोग ज्वर नाशक, जांडिस, पेचिस, सिरदर्द कृमिनाशक, रक्तशोधक, विषनाशक तथा अन्य पेट की बीमारियों में बहुत ही लाभकारी पाया गया है।
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इसका स्वाद कड़वा होता है, जिसमें एक प्रकार क्षारीय तत्व-एन्ड्रोग्राफोलाइडस, कालमेघिन पायी जाती है जिसके पत्तियों का उपयोग ज्वर नाशक, जांडिस, पेचिस, सिरदर्द कृमिनाशक, रक्तशोधक, विषनाशक तथा अन्य पेट की बीमारियों में बहुत ही लाभकारी पाया गया है।
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भारत के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, जैसे भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा की गई शोध से यह पता चला है कि एक त्रिफला में महत्वपूर्ण विषनाशक और कैंसर विरोधी कारक अत्यंत उपयोगी औषधीय गुण हैं।
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१८८८ में Emile रॉक्स और Alexandre Yersin ने डिप्थेरिया, विष को अलग किया, और 1890 में Behring और Kitasato के द्वारा डिप्थीरिया और धनुस्तंभ के लिए आधारित प्रतिरक्षा की खोज के बाद, वह विषनाशक आधुनिक चिकित्सीय प्रतिरक्षा विज्ञान की प्रमुख सफलता बन गई
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भारत के कई प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, जैसे भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा हाल में की गई शोध से यह पता चला है कि एक महत्वपूर्ण विषनाशक और कैंसर विरोधी कारक के रूप में त्रिफला में अत्यंत उपयोगी औषधीय गुण हैं.
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इसका स्वाद कड़वा होता है, जिसमें एक प्रकार क्षारीय तत्व-एन्ड्रोग्राफोलाइडस, कालमेघिन पायी जाती है जिसके पत्तियों का उपयोग ज्वर नाशक, जांडिस, पेचिस, सिरदर्द कृमिनाशक, रक्तशोधक, विषनाशक तथा अन्य पेट की बीमारियों में बहुत ही लाभकारी पाया गया है।
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परंपरा शंख में जल भर कर छिड़का जाता है क्यूंकि ऐसा जल विषनाशक होता है पुराने समय में बिच्छू बहुत होते थे घर घर पे बिच्छू के काटने पे शंख में गुनगुना पानी रख कर उस स्थान को धोया जाता था जहाँ बिच्छू काट गया है ऐसे पानी से उस स्थान को धोने से जहाँ बिच्छू कट गया होता था धोने से बिच्छू का जहर नहीं चढ़ता था ।
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रसायन (बुढापे को रोकने वाली और व्याधिक्षम्त्व बढाने वाली) ६ बृंहणीय (शरीर को मोटा करने वाली) वृष्य, बल्य, वातशामक, विषनाशक, गुल्म (बाय का गोला), प्लीहारोग, यकृत विकार, कफ़रोग नाशक, ज्वरहर, ग्रन्थि नाशक (टुमर, सीस्ट,) नाशक, जले हुए मे लाभकारी, त्वचा के लिये हितकर, पैतिक और रक्त्ज रोगों का नाशक।
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इसके बाद उन दैत्य कन्याओं के साथ श्रीदत्त ने उस नगर में प्रवेश किया | दैत्य कन्या ने श्रीदत्त को एक विषनाशक अंगूठी दी | वहां रहने पर श्रीदत्त उस दैत्य कन्या के प्रति आकृष्ट हो गया | दैत्य कन्या भी उसकी इच्छा समझ गई | एक दिन वे दोनों एक सरोवर में स्नान के लिए गए | वहां वह दैत्य कन्या श्रीदत्त से बोली-“ आप इस खड्ग सहित सरोवर में स्नान कीजिए | ”