योगगारूड़ मन्त्रेण पावनेनोपशाम्याति॥ हे राम! यह संसार रूप विष विसूचिका का वेग बड़ा दुःखदायी है वह योग रूप गरुड़ के मन्त्र करके शान्ति को प्राप्त होता है ।
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विसूचिका (हैजा) की दारुण यातना भोगकर माता गंगा की गोद में ही सो गया था, और माँ मानो बड़ी सावधानी से उसकी सुकुमार सुन्दर देह को अभी-अभी अपनी गोद से
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अपामार्ग की जड़ के चूर्ण को 2 से 3 ग्राम तक दिन में 2-3 बार शीतल पानी के साथ सेवन करने से तुरंत ही विसूचिका नष्ट होती है।
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25 मई सन् 1857 को अंस अम्बाला से देहली की ओर जा रहा था परन्तु विसूचिका (हैजा) से मार्ग में ही हत्यारे को जीवन से हाथ धोने पड़े ।
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यदि रोगी व्यक्ति के पाकाशय व आमाशय में जलन रहता है तथा विसूचिका आदि रोगों के साथ अन्य मस्तिश्क संबन्धी लक्षण मौजूद हो तो रोगी को यूर्फोबियम आंफी औषधि देनी चाहिए।
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4. विसूचिका (हैजा): चिरचिटा की जड़ों को 3 से 6 ग्राम तक की मात्रा में बारीक पीसकर दिन में 3 बार देने से हैजा में लाभ मिलता है।
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चिकित्सा अनुसंधान का काम हमारे देश में १ ९ वीं शताब्दी के दूसरे चरण में मलेरिया और विसूचिका (हैजा) नामक रोगों के फैलने से संबंधित अन्वेषण के रूप में प्रारंभ हुआ।
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विसूचिका या आम बोलचाल मे हैजा, जिसे एशियाई महामारी के रूप में भी जाना जाता है, एक संक्रामक आंत्रशोथ है जो वाइब्रियो कॉलेरी[1][2] नामक जीवाणु के एंटेरोटॉक्सिन उतपन्न करने वाले उपभेदों के कारण होता है।
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टीका लगाने से लाभ होता है या नहीं, इसका बंगाल में विसूचिका के बारे में और बंबई में प्लेग के संबंध में अन्वेषण करने के लिये हैफकिन नामक विद्वान् को सरकार की ओर से नियुक्त किया गया।
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टीका लगाने से लाभ होता है या नहीं, इसका बंगाल में विसूचिका के बारे में और बंबई में प्लेग के संबंध में अन्वेषण करने के लिये हैफकिन नामक विद्वान् को सरकार की ओर से नियुक्त किया गया।