टीटीएल मॉनिटरों का एक अवगुण यह था कि वीडियो सिग्नल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डिजिटल बिट्स की कम संख्या की वजह से उपलब्ध रंगों की संख्या सीमित थी.
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डिस्प्ले उपकरण (उदहारण के लिए, एक सीआरटी (CRT)) पर एक वीडियो सिग्नल को पुनरुत्पादित करना एक सीधी प्रक्रिया होती है जो सिग्नल स्रोतों के समूह द्वारा जटिल बना दी जाती है.
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इस प्रकार से अलग किया गया सिग्नल “कम्पोनेंट वीडियो” कहलाता है. एस-वीडियो (S-Video), आरजीबी (RGB) और वायपीबीपीआर (YPbPr) सिग्नलों में दो या अधिक सिग्नल सम्मिलित होते हैं: अतः यह सभी कम्पोनेंट वीडियो सिग्नल हैं.
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, 524)) पहले क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, और विषम क्रमांकित या “ उच्च ” (हर दूसरी लाइन विषम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (1,3,5,...
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संपूर्ण रेखापुंज में (आधी लाइनों को छोड़कर), सम-क्रमांकित अथवा “ लघु ” स्कैन लाइन्स (हर दूसरी लाइन सम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (2,4,6,...
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कम्पोनेंट एनालॉग वीडियो सिग्नल के अन्य प्रकार R, G और B कम्पोनेंट्स का प्रयोग नहीं करते बल्कि एक रंगहीन कम्पोनेंट का प्रयोग करते हैं, जिसे ल्यूमा कहते हैं, जोकि दीप्ति के सम्बन्ध में जानकारी देती है (जैसे कि ब्लैक एंड व्हाइट वीडियो में).
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संपूर्ण रेखापुंज में (आधी लाइनों को छोड़कर), सम-क्रमांकित अथवा “लघु” स्कैन लाइन्स (हर दूसरी लाइन सम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (2,4,6,..., 524)) पहले क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, और विषम क्रमांकित या “उच्च” (हर दूसरी लाइन विषम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (1,3,5,..., 525)) दूसरे क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, जिससे लगभग 59.94 हर्ट्ज (वास्तव में 60
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संपूर्ण रेखापुंज में (आधी लाइनों को छोड़कर), सम-क्रमांकित अथवा “लघु” स्कैन लाइन्स (हर दूसरी लाइन सम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (2,4,6,..., 524)) पहले क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, और विषम क्रमांकित या “उच्च” (हर दूसरी लाइन विषम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (1,3,5,..., 525)) दूसरे क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, जिससे लगभग 59.94 हर्ट्ज (वास्तव में 60
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और हमे कुछ अनुभव होता है, जब तक आप रेडियो या टीवी को सही चैनल नहीं लगाते तब तक न आवाज़ न चित्र आती है, सारा वातावरण में ऑडियो और वीडियो सिग्नल विचरण कर रहे लेकिन हमे दिखाई नहीं देता जब तक हम सही उपकरण का पर्योग नहीं करते तब तक, वैसे ही जब तक हम सही तरह से धवनी मंत्र का बगेर जपे फल की इच्छा करे?
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संपूर्ण रेखापुंज में (आधी लाइनों को छोड़कर), सम-क्रमांकित अथवा “लघु” स्कैन लाइन्स (हर दूसरी लाइन सम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (2,4,6,..., 524)) पहले क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, और विषम क्रमांकित या “उच्च” (हर दूसरी लाइन विषम होगी अगर उसकी गणना वीडियो सिग्नल में होगी जैसे (1,3,5,..., 525)) दूसरे क्षेत्र में बनायीं जाती हैं, जिससे लगभग 59.94 हर्ट्ज (वास्तव में 60 Hz/1.001)की फील्ड रिफ्रेश आवृत्ति पर बिना झिलमिलाहट वाली छवि प्राप्त की जा सके.