कोचरी अम्बाड़ा निवासी वालजी पारगी ने उसके स्वामित्व की भूमि में घुस वृक्ष काट देने तथा झोपड़ी में तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाने के आरोप में गांव के ही सोमा रोत सहित सौलह व्यक्तियों के खिलाफ चीतरी...
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उस शून्य जन रहित वन में उस दूदे की औलाद ने घार लगा कर अनेक खेजड़ी के वृक्ष काट लिये और काट कर एकत्रित कर लिये, तथा बैलगाडियो में भर कर वहां से उठा कर ले भी गये।
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याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह आवासीय प्रोजेक्ट घने जंगल के बीच बनाया जा रहा है तथा वहां तक सड़क बनाने के लिए रातों-रात अनेक वृक्ष काट लिए गए और इसमें सरकार व प्रशासन की मिली भगत रही।
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गांव के मिट्टी के घर पक्की ईटों के मिश्रित निर्माण के कारण बेढ़गें से हो गये है तमाम छोटे तालाब पटाई करने के बाद कृषि भूमि मे तब्दील, विशाल वृक्ष काट दिये गये जिन पर हज़ारों तोतें चहचहाया करते थे कुछ बचे हुए विशाल वृक्ष
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संग्रह की एक कविता है ‘इस बसंत में ' यहाँ भी उम्मीद खरगोश के रूप में जन्म लेती है-जंगल के सारे वृक्ष काट दिए गए हैं/सभी जानवरों का शिकार कर लिया गया है/फिर भी इस बसंत में/मिट्टी में धँसी जड़ों से पचखियाँ झाँक रही हैं/ और घास की झुरमुट में एक मादा खरगोश ने/दो जोड़े उजले खरगोश को जन्म दिया हैं।
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इस बसंत में ' यहाँ भी उम्मीद खरगोश के रूप में जन्म लेती है-जंगल के सारे वृक्ष काट दिए गए हैं / सभी जानवरों का शिकार कर लिया गया है / फिर भी इस बसंत में / मिट्टी में धँसी जड़ों से पचखियाँ झाँक रही हैं / और घास की झुरमुट में एक मादा खरगोश ने / दो जोड़े उजले खरगोश को जन्म दिया हैै।