जाहिर सी बात है कि आज जब नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पार्टी के अंदर और आम जन में तेजी से बढ़ने लगी है तो ऐसे हालातों में कांग्रेस के भीतर भय का माहौल व्याप्त होना ही था और ऐसे में वार-पलटवार का सिलसिला भी शुरू होना था.
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इससे एक वर्ग विशेष के मन में भय का वातावरण तो बनाया जा सकता है पर वृहद स्तर पर समाज को कोई नयी दिशा या मानसिकता में अन्तर शायद ही आया हो? समाज में इस प्रकार के भय का व्याप्त होना भी किसी सुसुप्त ज्वालामुखी से कम नहीं है ।
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ओजोन की परत पर प्रभाव, बढती गरमी के कारण पीछे जाते ग्लेशियर, कम (और ख़त्म) होते जंगल, पक्षी और जानवर, नदियों मे शीघ्र बाढ़ आदि आना, नदियों का प्रदूषित होना, प्रदूषण का आकाश से पाताल तक व्याप्त होना, ज्यादा विकसित स्थानों मे साँस लेना भी मुश्किल होना आदि, सभी बहुत चिन्ता का विषय है ।