पत्रकारिता में किया जाने वाला लेखन जहाँ दबाव में होता है, जिसमें डेडलाइन के भीतर और सीमित शब्द-सीमा में लिखना अनिवार्य होता है, वहीं चिट्ठाकारिता मनमर्जी का लेखन है, जिसमें आप जब चाहें और जितना चाहें, लिख सकते हैं।
32.
पत्रकारिता से तुलना पत्रकारिता में किया जाने वाला लेखन जहाँ दबाव में होता है, जिसमें डेडलाइन के भीतर और सीमित शब्द-सीमा में लिखना अनिवार्य होता है, वहीं चिट्ठाकारिता मनमर्जी का लेखन है, जिसमें आप जब चाहें और जितना चाहें, लिख सकते हैं।
33.
पत्रकारिता में किया जाने वाला लेखन जहाँ दबाव में होता है, जिसमें डेडलाइन के भीतर और सीमित शब्द-सीमा में लिखना अनिवार्य होता है, वहीं चिट्ठाकारिता मनमर्जी का लेखन है, जिसमें आप जब चाहें और जितना चाहें, लिख सकते हैं।
34.
जिन शब्दों का हम अपने व्यवहारिक जीवन में प्रयोग करते हैं, जिनके माध्यम से हम अपनी उद्भावनाओं को प्रकट करते हैं, उनकी शब्द-सीमा 2-3 हजार से ज्यादा नहीं होगी और उन शब्दों में बहुत सारे शब्द ऐसे हैं जो हिंदी के नहीं हैं।