' ' इतना कहकर भूतनाथ ने शमादान अपने एक साथी के हाथ में दे दिया और एक कोठरी के दरवाजे पर जा खड़ा हुआ जिसमें दोहरा ताला लगा हुआ था।
32.
ऊंची गद्दी पर कम्बख्त दारोगा बैठा हुआ था, उसके आगे एक शमादान जल रहा था और उसके पास ही में एक आदमी कलम-दवात और कागज लिये बैठा हुआ था।
33.
शमादान के सामने वह गठरी खोली और एक-एक करके कागज देखने और पढ़ने लगा, यहां तक कि सब कागज देख गया और शमादान में लगा-लगाकर सब जलाकर खाक कर दिये।
34.
शमादान के सामने वह गठरी खोली और एक-एक करके कागज देखने और पढ़ने लगा, यहां तक कि सब कागज देख गया और शमादान में लगा-लगाकर सब जलाकर खाक कर दिये।
35.
जब उसने शमादान गुल किया और कमरे के बाहर जाने लगी वह अपनी चारपाई से उठ खड़े हुए और दबे कदम तथा अपने को हर तरह से छिपाये हुए उसके पीछे रवाना हुए।
36.
शेरअलीखां अपने कमरे में मोटी गद्दी पर लेटा हुआ कोई किताब पढ़ रहा था और सिरहाने की तरफ संगमर्मर की छोटी-सी चौकी के ऊपर शमादान जल रहा था, इसके अतिरिक्त कमरे में और कोई रोशनी न थी।
37.
कमरे में यद्यपि बहुत से बेशकीमती शीशे करीने के साथ लगे हुए हैं, मगर रोशनी दो दीवारगीरों में और एक सब्ज कंवल वाले शमादान में, जो मायारानी के सामने गद्दी के नीचे रखा हुआ है, हो रही है।
38.
नीचे चौक में कुछ रोशनी मालूम होती थी, जमालो ने झांककर देखा तो यहां वाला शमादान चौक में बलता पाया, आहट लेने पर जब मालूम हुआ कि नीचे कोई भी नहीं है तो शमादान लेने के लिए नीचे गई है।
39.
नीचे चौक में कुछ रोशनी मालूम होती थी, जमालो ने झांककर देखा तो यहां वाला शमादान चौक में बलता पाया, आहट लेने पर जब मालूम हुआ कि नीचे कोई भी नहीं है तो शमादान लेने के लिए नीचे गई है।
40.
दूसरे दिन आधी रात बीतने पर इंद्रजीतसिंह को सोता समझ माधवी अपने पलंग पर से उठी, शमादान बुझाकर अलमारी में से ताली निकाली और कमरे के बाहर हो उसी कोठरी के पास पहुंची, ताला खोल अंदर गई और भीतर से ताला बंद कर लिया।