मेरे सीने पर उगे या तो ये फोड़े खत्म हो जाएँ, या मैं अदृश्य हो जाऊँ, एक पक्षी बन जाऊँ या पेड़! तभी यह घटना घटी! मैं सफेद शमीज़ पहन कर सोई थी, सफेद चादर.... पर कि अचानक मैंने देखा आधे चाँद के किनारे भी लाल हो गए थे.
32.
सब दरवाज़े बन्द हैं, एक परिन्दा तक झाँकता नहीं सिर्फ एक लाल चेहरे वाला लंगूर सफेद चूने लगी छत पर से ताकता है, बिटर बिटर आँखों से, कपड़े तार पर फड़फड़ाते हैं, अबरक लगे दुपट्टे और कलफ की गई पाँच गजी साड़ियाँ और सफेद पजामे के नाचते पैर, बिन बाँह की नीली शमीज़
33.
चौधरी जी वाले मकान में होती तो जी भरके चैन से अपनी बेवकूफी पर रोती लेकिन यहां तो रोने की भी जगह नहीं! मुझसे उम्र में कोई एक-दो साल छोटी होगी, काली-भुजंग लड़की. छपछप नंगे पैर जाने धुंधलके में कहां से दौड़ती आई, पैरों में चप्पल नहीं, इतनी बड़ी हो गई अभीतक फ्रॉक पहने थी वह भी जानो कब का फटा हुआ, और अंदर शमीज़ तक नहीं कि जो नहीं दिखना चाहिए सबके आगे छाती से चिपकाये उसका बैंड बजाती!
34.
चौधरी जी वाले मकान में होती तो जी भरके चैन से अपनी बेवकूफी पर रोती लेकिन यहां तो रोने की भी जगह नहीं! मुझसे उम्र में कोई एक-दो साल छोटी होगी, काली-भुजंग लड़की. छपछप नंगे पैर जाने धुंधलके में कहां से दौड़ती आई, पैरों में चप्पल नहीं, इतनी बड़ी हो गई अभीतक फ्रॉक पहने थी वह भी जानो कब का फटा हुआ, और अंदर शमीज़ तक नहीं कि जो नहीं दिखना चाहिए सबके आगे छाती से चिपकाये उसका बैंड बजाती!
35.
उसने लो-कट (गहरे गले वाला) कुर्ते के अन्दर एक महीन सा शमीज़ पहन रखी थी जो कि पानी में उसके बदन से चिपक गई थी और उसके ठंड से नुकीले हो चुके काले-काले निप्प्ल साफ़ नज़र आ रहे थे! पॉपिन्स के साइज़ का ऐरोला भी दिखाई दे रहा था और झटका खाने वाली बात यह थी कि उसके स्तन एकदम तने हुये बहुत बड़े-बड़े थे, इतने बड़े जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी, जिनको वो ढीले-ढाले कुर्ते और दुपट्टे के नीचे ढकी रहती थी।