मानो कक्षा में कोई शरारती बच्चा मास्साब के खूब मना करने के बाद भी बाकी साथियों को रंग लगाना शुरु कर देता है और होली का महौल 2-3 दिन पहले ही शुरु हो जाता है।
32.
पिछले शनिवार को उसकी टीपीएम में टीचर लगातार यही बताती रह गईं कि बहुत ज्यादा शरारती बच्चा है, बच्चों को गालियां देता है, उनका गला पकड़ लेता है, क्लास में हमेशा कुछ न कुछ करता रहता है, वगैरह-वगैरह।
33.
अन्ना हजारे के आंदोलन ने हमें ठीक उसी तरह झकझोर कर आंखें खोलने पर मजबूर कर दिया, जैसे कोई शरारती बच्चा किसी बात पर नाराज होकर शतरंज की बिछी बिसात को झकझोर कर रख दे और शतरंज खेलने वाले अकबका कर रह जाएं।
34.
एक दिन सुबह बिल्लो रानी और उसका एक बच्चा बालकनी में नहीं दिखा! मुझे लगा की कहीं वो गिर न गया हो! थोड़ी देर ढूंढने के बाद पता चला की वो शरारती बच्चा नीचे वाले फ्लेट में मेहमाननवाज़ी फरमा रहा है!
35.
कभी खांसी कभी जुखाम...देर रात घूमने का राज़!एक बार बंता को देर रात तक घर के बाहर घूमता देख कर संता उस से बोला, “ओ यार तू इतनी देर रात तक घर से बाहर घूमता रहता है तेरी बीवी...बच्चा और टीचर!टीचर क्लास में सो गई, तो एक छोटा शरारती बच्चा उन्हें जगाने गया।
36.
तो उन्हें ये बता दूँ की अभी तक जितने भी अपने बचपन के किस्से मैंने सुने हैं, जितनी भी बातें मौसियों ने और मामाओं ने बताई हैं मुझे, उनमे इस बात का बिलकुल भी प्रमाण नहीं मिलता की मैं शरारती बच्चा था, बल्कि बेहद शरीफ और शांत बच्चा था मैं..
37.
मांसल लगने लगा रुखा कैक्टस गुलाबी फूल की छाया भी देखी जैसे अपने मन की सुन्दरता को सहेजे है कि कोई शरारती बच्चा न बिखरा दे उस सुन्दरता को एक ही झटके में उसे पी कर आँखों से फिर मूँद ली पलके फिर दिल में उतरने लगी मीठी बुँदे रिस कर क्यूँकी कल रात कुछ ज्यादा ही शहद से आंजी आँखें
38.
यह सब आप सबके हौसला अफजाई का ही असर है की लौट कर दोबारा आ ही जाती हूँ...............इस मंच में दुबारा आने पर कई नाम नए तो दिख ही रहे है पर सबसे भयानक तो कमेन्ट कोड का रूप है.....इतने भयानक है की उनके चेहरे समझ ही नही आते.....................मेरा शरारती बच्चा अब और शरारती हो गया है......किसी दिन उसकी शरारते आप सबके साथ जरुर बाटूंगी.........आपको भी दीपोत्सव की शुभ कामनाये.......
39.
आंगन से कमरों को अलग करते हुए जो बरामदे थे वहाँ धीरे-धीरे एक अलग ही दुनिया आकार लेने लगी. बाँस की छोटी-छोटी पतली खपच्चियों को मोड़कर, उसे सुतली से बाँधकर और उस पर फिर मिट्टी चढ़ाकर सोनाबाई ने नाना आकारों की झिंझुरी बनाई और तब उस पर कहीं ढोल बजाते आदमी, कहीं झाँकता हुआ शरारती बच्चा, कहीं बिल्ली, शेर, गाय, चिड़िया, साँप सब एक-एक कर प्रकट होने लगे.