| 31. | शाख़ पर बैठे परिन्दे कह रहे थे कान में,
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| 32. | अब तो हर शाख़ पर बैठे हैं.
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| 33. | पर लम्हों से जुड़े है वक़्त की शाख़,
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| 34. | शाख़ से फूल की तरह झरती गई
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| 35. | शाख़ लहराई हवा में सूखने से पेशतर
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| 36. | फिर उसी शाख़ पर नशेमन बनाया जाए
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| 37. | आशियाना ढूंढते हैं, शाख़ से बिछड़े हुए
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| 38. | पात पात झर गए कि शाख़ शाख़ जल गई
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| 39. | पात पात झर गए कि शाख़ शाख़ जल गई
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| 40. | हर शाख़ पे उल्लू बैठा है, अंजाम-ए-गुलिस्ताँ क्या होगा.
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