उल्लेखनीय है कि नाग राजाओं का शासन प्रबन्ध उनके राज्य को कई केन्द्रीय शासन द्वारा संचालित स्वायत्त मण्डलों में विभाजित करता था, इन्ही में से एक था मधुर मण्डल जिसमें छिन्दक नागराजाओं की ही एक कनिष्ठ शाखा के मधुरांतक देव का आधिपत्य था।
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चुनाव के सिद्धान्त को स्वीकार करने के द्वारा तथा शासन प्रबन्ध पर व्यवस्थापिका सभाओं के कुछ नियंत्रण प्रदान किये जाने के कारम इससे भावी प्रगति के लिए मार्ग खुल गया, जिसके अनुसार भारतीयों के हाथों में देश के प्रशासन का काफी नियंत्रण सौंपा जाना था।
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आप देखेंगे कि साहित्य ने वहाँ की सामाजिक और राजकीय स्थितियों में कैसे कैसे परिवर्तन कर डाले हैं ; साहित्य ही ने वहाँ समाज की दशा कुछ की कुछ कर दी है ; शासन प्रबन्ध में बड़े उथल-पुथल कर डाले हैं ; यहाँ तक कि अनुदार धार्मिक भावों को भी जड़ से उखाड़ फेंका है।
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डॉ. आर.सी मजूमदार ने लिखा है कि, ब्रिटिश सरकार इन प्रतिभावन व्यक्तियों के परामर्श को खुल्लम-खुल्ला मानने से बहुत हिचकिचाती थी, क्योंकि ऐसा करना इस बात का प्रमाण था कि भारतीय नेता शासन प्रबन्ध में उनसे भी श्रेष्ठ हैं, लेकिन फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ये सदस्य शासन प्रबन्ध को प्रभावित किये बिना न रह सके।
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डॉ. आर.सी मजूमदार ने लिखा है कि, ब्रिटिश सरकार इन प्रतिभावन व्यक्तियों के परामर्श को खुल्लम-खुल्ला मानने से बहुत हिचकिचाती थी, क्योंकि ऐसा करना इस बात का प्रमाण था कि भारतीय नेता शासन प्रबन्ध में उनसे भी श्रेष्ठ हैं, लेकिन फिर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ये सदस्य शासन प्रबन्ध को प्रभावित किये बिना न रह सके।