व्यवहार में यह ध्यान रहे कि जहाँ तक हो सके शास्त्रानुकूल ही व्यवहार किया जाय और मन का बहुत थोड़ा अंश उसमें लगाया जाय।
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व्यवहार में यह ध्यान रहे कि जहाँ तक हो सके शास्त्रानुकूल ही व्यवहार किया जाय और मन का बहुत थोड़ा अंश उसमें लगाया जाय।
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आगे हम अपनें ब्लॉग के मध्यम से आप को तंत्र-साधना के बारे में भी बताएँगे जहाँ शास्त्रानुकूल काम को आप अच्छी तरह समझ सकते हैं।
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मनुष्य शास्त्रानुकूल जितना कुछ कर सकता है, उसे तटस्थ-भाव से करके भगवान को अर्पित कर दे तो व्यर्थ की चिन्ता से मुक्त हो सकता है।
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१ ५. मनुष्य मन, वाणी और शारीर से शास्त्रानुकूल अथवा विपरीत, जो कुछ भी कार्य करता है-उसके ये पाँच कारण हैं.
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अन्य संतों व कथाकारों से गुरुदेव जी की कोई जाति दुश्मनी नहीं है वे केवल इतना चाहते हैं कि भक्त समाज वास्तविक शास्त्रानुकूल भक्ति मार्ग से परिचित होकर..
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कभी विच्छिन्न न हुई शास्त्रानुकूल अपनी मर्यादा का त्याग न कर रहे पुरुष को जैसे सागर में रत्न प्राप्त होते हैं, वैसे ही सम्पूर्ण अभीष्ट प्राप्त होते हैं।
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विवेकवान जनों को इस पावन-पर्व के दिनों में मोक्ष व ज्ञान लक्ष्मी तथा गौतम गणधर की पूजा करनी चाहिये जो कि समयानुकूल, शास्त्रानुकूल, प्रामाणिक तथा कल्याणकारी है।
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इस प्रकार तुम्हारे सामने जो आ जाए वह व्यक्ति बढ़िया है, तुम्हारे सामने शास्त्रानुकूल जो कार्य आ जाए वही उत्तम है और जो वर्तमान समय है वही बढ़िया है | ”
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अध्याय 9 के श्लोक 22 में कहा है कि जो निष्काम भाव से मेरी शास्त्रानुकूल पूजा करते हैं, उनकी पूजा की साधना की रक्षा मैं स्वयं करता हूँ, मुक्ति नहीं।