समस्त कवियों में आधुनिक काल के पूर्वार्द्ध में जानकी प्रसाद द्विवेदी, शिवसहाय चतुर्वेदी, रामचंद्र भार्गव, हरिप्रसाद हरि, लोकनाथ द्विवेदी सिलाकारी, सन्त ब्रजेश, रामचरण हयारण मित्र, सुधाकर शुक्ल शास्री और ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी प्रमुख है।
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धमार के श्रेष्ठ गायक नारायण शास्री, बहराम खाँ, पं. लक्ष्मणदास, गिद्धौर वाले मोहम्मद अली खाँ, आलम खाँ, आगरे के गुलाम अब्बास खाँ, उस्ताद फैयाज़ खाँ और उदयपुर के डागर बंधु आदि हुए हैं।
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समस्त कवियों में आधुनिक काल के पूर्वार्द्ध में जानकी प्रसाद द्विवेदी, शिवसहाय चतुर्वेदी, रामचंद्र भार्गव, हरिप्रसाद हरि, लोकनाथ द्विवेदी सिलाकारी, सन्त ब्रजेश, रामचरण हयारण मित्र, सुधाकर शुक्ल शास्री और ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी प्रमुख है।
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उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने भी यह सपना देखा था कि देश का कोई भी बच्चा भूखा नहीं रहे, यह सपना अब साकार होने वाला है।
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आचार्य नरदेव शास्री उन ब्यक्तियों में थे जो अहिन्दी भाषी होते हुए भी आजीवन संसकिरत वाड्मय और हिंदी की सेवा में ही लगे रहे और जिन्होने अपना कार्य क्षेत्र अपनी जन्म भूमि को न बनाकर उत्तर भारत को ही बनाया है!
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गत एक शताब्दी में धमार के श्रेष्ठ गायक नारायण शास्री, धर्मदास के पुत्र बहराम खाँ, पं. लक्ष्मणदास, गिद्धौर वाले मोहम्मद अली खाँ, आलम खाँ, आगरा के गुलाम अब्बास खाँ और उदयपुर के डागर बंधु आदि हुए हैं।
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प्रसिद्ध वनस्पति शास्री डॉ. ड्यूथी के अनुसार निर्गुण्डी से ही मिलता-जुलता पौधा है-वायटैक्स ट्राइफोलिया इसके पत्ते सादे 1 से 3 पत्र युक्त होते हैं, खण्डित नहीं होते एवं फल-फूल सामान्य औषधीय गुण प्रधान पौधे के फल-फूलों से काफी अधिक बड़े होते हैं ।
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ऐसे सुदूरवर्त्ती गांव में जब पार्टी का कोई विधायक या सांसद भी जाता है, तो लोग भले ही उन्हें नहीं पहचाने, लेकिन पं. जवाहर लाल नेहरु, लाल बहादुर शास्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जानते है।
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एक अन्य धारा में गौरीशंकर शर्मा, जानकी प्रसाद द्विवेदी, सुखराम चौबे गुणाकर, रामचन्द्र भार्गव, शिवसहाय चतुर्वेदी, लोकनाथ सिलाकारी, सुधाकर शुक्ल शास्री, ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी जैसे कवि आते हैं जो समाज और संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर विचार तो करते ही हैं साथ ही राष्ट्रीय उद्बोधन के गीत भी गाते हैं।
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महामना पंडित [[मदनमोहन मालवीय]] जैसे विलक्षण महापुरुष के अतिरिक्त राजा शिव प्रसाद गुप्त, बाबूराव विष्णु पराड़कर, श्री श्रीप्रकाश, डॉ. भगवान दास, लाल बहादुर शास्री, डॉ. संपूर्णानंद, कमलेश्वर प्रसाद, मन्मथनाथ गुप्त, मुकुटबिहारी लाल जैसे महापुरुषों का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा ।