ग्रन्थ मन ६ शलोक में मन को वश में रखने के लिए अनेक शिक्षा प्रद उदहारण दिए गए हैं, जैसे-अरे मन पूरे जीवन तुम इस शरीर की ही सेवा करते रहे हो और जब शरीर छूट गया तो तुम्हारा कहीं नामो निशान नहीं था।
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मृत्यु सत्य है यही बात समझ में आ जाय मनुष्य-मनुष्य हो जा य. स ुज्ञ जी बहुत शिक्षा प्रद कथा है सम सामयिक है अध्यात्मिक भी, सोशल भी, सामाजिक भी कितना वर्णन करू, समाज को समझाने क़े लिए बहुत अच्छी कहानी क़े लिए, बहुत-बहुत धन्यवा द.
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प्रेरणा अर्गल जी साधुवाद-बहुत ही प्यारी रचना समाज के डर से हम किस कदर भ्रमित हैं बोझिल हैं दर्द झेल रहे हैं सब क्षेत्रों को आप ने इस में समाहित किया एक बहुत ही शिक्षा प्रद रचना अंत में सुन्दर आवाहन-काश लोग इस पथ पर चल पड़ें-बधाई हो
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आपकी पोस्ट हम सबके लिए बहुत शिक्षा प्रद है, परन्तु हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं, यही कारण है, की न तो घर में और न घर से बाहर कभी जल की बर्बादी रोकने के प्रयास नहीं किये जाते, जल को प्रदूषित करने के लिए हम होई जिम्मेदार हैं.
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अगर किसी शिक्षा प्रद कहानी को पढने के बाद भी को विरोधी तर्क मन में उठता है तो सिर्फ दो ही बातें हो सकती हैं या तो हम अर्जुन की तरह प्रश्न पूछ रहें हैं ……तब तो ठीक है पर अगर ऐसा नहीं है तो हमारे मन की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह उठाना चाहिए
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शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर आदर्श शिक्षिका (निजी पाठशाला)से सम्मानित,पत्रकारिता महाविद्यालय में अध्यापिका,और शिक्षा प्रद लेखन में अग्रणी श्रीमती “ श्रीती राशिनकर ” ने स्नेहवश जो पुस्तक में भूमिका लिखी है वो अमूल्य है वो मुझे दीदी कहती है अत; उन्हे स्नेहाशीष | श्रीति “शब्द भाव ”की भूमिका में लिखती है
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इसके पूर्व में भी कई समाचार पत्रो से धक्के मार कर निकाले जा चुके सुनील द्धिवेदी ऐसी ओझी एवं घटिया मानसिकता का परिचय दे चुके है जब उन्होने वर्तमान पुलिस अधिक्षक श्री बीएस चौहान को उनके बताएं अनुभव के आधार पर व्यक्त शिक्षा प्रद विचारो को 25 अगस्त 2011 के अंक में हां मैं पहले भोंदू था एसपी......
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कार्यक्रम में जहां बिरपाल खरकिया ने सपना के साथ आज के माहौल और संस्कृति पर कटाक्ष करते हुए रागिनियों से लोगों का मनोरंजन करवाया, वहीं रमेश कलावडिया ने अपनी शिक्षा प्रद रागिनियों से लोगों को किस प्रकार अपनी संस्कृति के बचाकर रखना चाहिए, गुस्से पर काबू और माता-पिता, गाय, गुरु व ब्राह्मण की सेवा करनी चाहिए के बारे में समझाया।
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बहुत ही सरस, सरल और शिक्षा प्रद बाल कविता है | लैपटॉप की महिमा न्यारी, इसे जानता है हर प्राणी | हर पल देता हमको ज्ञान, जीवन को कर दे आसान | आदरणीय भाई अजय गुप्त जी को मेरा सादर प्रणाम और बहुत-बहुत बधाई, इसके साथ ही साथ भाई अरविन्द जी को सुंदर चित्रण के लिए साधुवाद |
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ताऊ जे यो पत्रिका ने लेखक यों ही बढ़ते रहे ते तू देखियो या ता पूरा ग्रन्थ बन जावेगी..आर खुशी के बात ये है की ब्लॉग्गिंग का हर ब्लॉगर...यो ग्रन्थ ने पूरा चाटना चाहेगा...उड़नतश्तरी के बोल बचन बड़े ही शिक्षा प्रद लागे मानने ते...होर ताई..अल्पना ने अरुणाचल प्रदेश से परिचय भी खूब भायो...कदी बिहार पर भी कुछ लिखो न...हिमांशु जी की पोल जल्दी खोलो भाई...यो सच्चा शरणम् ने सारी सच्ची करतूतें हमने भी जाननी हैं....फेर मिलांगे घनी राम राम...