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शीतपित्त उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.13. शीतपित्त: अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चन्दन का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।

32.13. शीतपित्त: अपामार्ग (चिरचिटा) के पत्तों के रस में कपूर और चन्दन का तेल मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त की खुजली और जलन खत्म होती है।

33.जिन्हें शीतपित्त का कष्ट हो, शरीर में गर्मी ज्यादा हो, जठर, आंतों अथवा गर्भाशय में उपदंश हो, दस्त लग गए हों उन्हें टमाटर का सेवन नहीं करना चाहिए।

34.अगर शीतपित्त की परेशानी हो तो एक चम्मच देसी घी, एक ग्राम काली मिर्च खाकर इसके पत्तों का एक कप रस पी लें. दस मिनट में ही असर दिखाई देगा.

35.इसके अलावा शीतपित्त में, दिल में खून का बहाव सही तरीके से न पहुंच पाना, सांस का सही तरह से न आना जैसे रोगों में भी ये औषधि बहुत अच्छा असर करती है।

36.52 शीतपित्त:-* अदरक का रस और शहद पांच-पांच ग्राम मिलाकर पीने से सारे शरीर पर कण्डों की राख मलकर, कम्बल ओढ़कर सो जाने से शीतपित्त रोग तुरन्त दूर हो जाता है।

37.52 शीतपित्त:-* अदरक का रस और शहद पांच-पांच ग्राम मिलाकर पीने से सारे शरीर पर कण्डों की राख मलकर, कम्बल ओढ़कर सो जाने से शीतपित्त रोग तुरन्त दूर हो जाता है।

38.स्ट्राबेरी के अधिक सेवन से बीमार पड़ने वाले व्यक्तियों (सससेप्टिल इण्डीब्युजुअलस) में विषाक्त लक्षण पैदा होने पर तथा छपाकी अथवा शीतपित्त के समान दाने आने पर फ्रागैरिया विस्का औषधि का प्रयोग किया जाता है।

39.बड़ी अरनी की जड़ को छाया में सुखाकर चूर्ण बनाकर 1 ग्राम चूर्ण, जीरे के 1 ग्राम चूर्ण के साथ शहद मिलाकर चाटकर खाने से शीतपित्त (पित्त उछलना) में बहुत लाभ होता है।

40.अर्टिकेरिया त्वचागत रोगों के सर्वाधिक हठीला तथा दुःसाध्य रोग है, जिसकी उत्पत्ति दूषित आहार-विहार, खानपान, अत्यधिक तेल, चटपटे, मसालेदार खाद्य पदार्थ तथा तेज नमक-मिर्च, अचार, सर्द-गर्म भोजन से यह एलर्जी का रूप लेकर शीतपित्त या अर्टिकेरिया की उत्पत्ति करता है।

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