हे मज़्द, जब मैंने पहले पहल अपने ध्यान में तेरी कल्पना की तो मैंने शुद्ध हृदय से तुझे विश्व का प्रथम अभिनेता माना, विवेक का जनक, सदाचार का उत्पन्न करनेवाला, मनुष्य के कार्यों का नियामक।
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हे मज़्द, जब मैंने पहले पहल अपने ध्यान में तेरी कल्पना की तो मैंने शुद्ध हृदय से तुझे विश्व का प्रथम अभिनेता माना, विवेक का जनक, सदाचार का उत्पन्न करनेवाला, मनुष्य के कार्यों का नियामक।
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दूसरा यह है कि आप मांसाहार कर चाहे कितना भी दान करें बेकार है दूसरा यह है कि जब उसके प्रभाव से विचार और मन कलुषित होंगे तो शुद्ध हृदय से भक्ति भी नहीं हो पाती।
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दूसरा यह है कि आप मांसाहार कर चाहे कितना भी दान करें बेकार है दूसरा यह है कि जब उसके प्रभाव से विचार और मन कलुषित होंगे तो शुद्ध हृदय से भक्ति भी नहीं हो पाती।
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अगर हमने शुद्ध हृदय से दान दिया है और लेने वाला मूर्ख और दुष्ट है तो उसके द्वारा किया गया दुरुपयोग हमें भी पाप का भागी बना देता है अतः ऐसे दान से तो न करना अच्छा।
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जिसने सूरज-चाँद बनाये, फूल, फल और पौधे उगाये, कई वर्ण, कई जाती के प्राणी बनाये, उसके समीप बैठेंगे नही तो विश्व की यथार्थता का पता कैसे चलेगा? शुद्ध हृदय से कीर्तन, भजन, प्रवचन में भाग लेना प्रभु की स्तुति है।
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अगर लोग शुद्ध हृदय से राम का नाम लें तो उनके कई दर्दें का इलाज हो जाये पर माया ऐसा नहीं करने देती वह तो उन्हें डाक्टर की सेवा कराने ले जाती है जो कि उसके भी वैसे ही भक्त होते हैं जैसे मरीज।
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अगर लोग शुद्ध हृदय से राम का नाम लें तो उनके कई दर्दें का इलाज हो जाये पर माया ऐसा नहीं करने देती वह तो उन्हें डाक्टर की सेवा कराने ले जाती है जो कि उसके भी वैसे ही भक्त होते हैं जैसे मरीज।
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अगर लोग शुद्ध हृदय से राम का नाम लें तो उनके कई दर्दें का इलाज हो जाये पर माया ऐसा नहीं करने देती वह तो उन्हें डाक्टर की सेवा कराने ले जाती है जो कि उसके भी वैसे ही भक्त होते हैं जैसे मरीज।
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अगर लोग शुद्ध हृदय से राम का नाम लें तो उनके कई दर्दें का इलाज हो जाये पर माया ऐसा नहीं करने देती वह तो उन्हें डाक्टर की सेवा कराने ले जाती है जो कि उसके भी वैसे ही भक्त होते हैं जैसे मरीज।