अतः कोई भी ऐसी व्याख्या जो अपने को व्याख्यापेक्षी तथ्य के शेषांश से संगत बनाने के निमित्त उस तथ्य के एक अंश को नष्ट कर देती है, कदापि वैज्ञानिक नहीं हो सकती, वह और जो भी हो ।
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मैंने नीरजा मिश्र की बात अनसुनी करते हुए तीसरे अनुच् छेद का शेषांश पढा-' यदि वह स् त्री इससे इंकार करती है, तो क्रमानुसार यह काम मैं दूसरी वधू, और इसके बाद अपनी तीन लड़कियों के हाथ में सौंपता हूं।
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पिछले लेख का शेषांश.............. मुक्त और स्वतन्त्र स्त्रियाँ ऐसी भी स्त्रियाँ हैं जो अपनी अस्मिता और स्वाभिमान के लिए चेतना प्राप्त हैं और वे अपने निर्णय खुद लेने की इच्छा रखती हैं, चाहे वे उनकी देह के बारे में हो या उनके रिश्तों, संबंधों, परिवेश के बारे में।
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जब खोजकर के उस साथी का कमरा पाकर और उससे यह जानकर कि कई एक पुस्तकें तो ‘ लोग ' ले गये और चित्रों के संग्रह चोरी हो गये और इत्यादि, शेखर अपनी बची-खुची पुस्तकों का गट्ठर लेकर लौटा-आधी से अधिक पुस्तकें चली जाने पर भी शेषांश काफ़ी था और उसमें भी पाठ्य पुस्तकें उतनी नहीं, जितने दूसरे और अब शेखर के विशेष रुचि के ग्रन्थ थे-तब रात हो गयी थी।
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सच बताना अनंतिम, तुम्हारे जीवन-आदर्शों के चलते तुम्हें साथी के रूप में एक प्रियतम चाहिए थी या बाजार की परिस्थितियों को बेहतर पहचानती एक ऐसी औरत जो कि अपने मादरजात आकर्षणों को बेचकर तुम्हारे भविष्य को अगले सौ वर्षों तक सुरक्षित कर पाती? “ वाक्पटु अनंतिम का उत्तर एकदम किताबी था, ” उस औरत के भीतर से मैं अपनी प्रियतम को आरक्षित कर लेता और उसके शेषांश को बाजार में चढ़ा देता.
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संपत्ति का अधिकार-५ वैयक्तिक विधियों में प्राप्त संपत्ति का अधिकार-भारत में विभिन्न धर्मों की वैयक्तिक विधियों द्वारा भी व्यक्ति को संपत्ति का अधिकार प्राप्त होता है, जो निम्न है-* मुस्लिम विधि-में-१-सुन्नी विधि के अंतर्गत तीन प्रकार के उतराधिकारी होते हैं-क-हिस्सेदार ख-शेषांश ग-दूर के नातेदार परन्तु शिया विधि के अंतर्गत दो प्रकार के उतराधिकारी होते हैं-१-हिस्सेदार २-शेषांश सम्बन्धी. २-सुन्नी विधि के अंतर्गत हिस्सेदार शेषांश सम्बन्धियों का अपवर्जन करते हैं और शेषांश सम्बन्धी दूर के नातेदारों का.
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संपत्ति का अधिकार-५ वैयक्तिक विधियों में प्राप्त संपत्ति का अधिकार-भारत में विभिन्न धर्मों की वैयक्तिक विधियों द्वारा भी व्यक्ति को संपत्ति का अधिकार प्राप्त होता है, जो निम्न है-* मुस्लिम विधि-में-१-सुन्नी विधि के अंतर्गत तीन प्रकार के उतराधिकारी होते हैं-क-हिस्सेदार ख-शेषांश ग-दूर के नातेदार परन्तु शिया विधि के अंतर्गत दो प्रकार के उतराधिकारी होते हैं-१-हिस्सेदार २-शेषांश सम्बन्धी. २-सुन्नी विधि के अंतर्गत हिस्सेदार शेषांश सम्बन्धियों का अपवर्जन करते हैं और शेषांश सम्बन्धी दूर के नातेदारों का.