इन्हीं की परम्परा को आगे बढातेहुए मिसाईल मेन भारतरत्न मा ० ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलॉम जी ने भारतीय तकनिक से हर प्रकार के प्रक्षेपास्त्र का निर्माण एवं परमाणु परीक्षण कर भारतीय सेना को विश्व की श्रेश्ठ सेनाओं में सम्मिलित किया है।
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एक स्वाद है त्रिदिव लोक मॅ, एक स्वाद वसुधा पर, कौन श्रेश्ठ है, कौन हीन, यह कहना बडा कठिन है, जो कामना खींच कर नर को सुरपुर ले जाती है, वही खींच लाती है मिट्टी पर अम्बर वालॉ को.
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जिला मन्त्री डा 0 एसपी श्रीवास्तव अध्यक्षता में सम्पन्न हुए आर्य समाज खरकहिया के मन्त्री निन्दनी सिंह द्वारा 126 वें यज्ञ का कार्यक्रम आर्चाय डा 0 िशव दत्त एवं शैलेन्द्र के द्वारा सम्पन्न हुआ डा 0 श्रीवास्तव ने कहा कि अच्छी सोच ही हमे श्रेश्ठ बनाती है।
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“ कुर्सी मैय्या कुर्सी बाप, कौन खेत की मूली आप” आज श्रेश्ठ व्यंगकार डा योगेन्द्र मणि जी के एक व्यंग की पे पंक्तिया काफ़ी देर जहन में घूमती रही फ़िर जो कुछ घूम रहा था उससे मैने इन दो पंक्तियो को इस तरह से बढाने की कोशिश की है कि
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जबकि पति-पत्नी के पवित्र रिष्ते को सुदृढ़ बनाने, एक श्रेश्ठ पारिवारिक संरचना को गठित करने, मूल्यनिश्ठ समाज की स्थापना करने, पूरे विष्व को एकसूत्र में बांधने तथा समग्र नारी समाज को पवित्रता के संकल्प में बंधकर हर एक को इसकी पहल करने का अलौकिक सन्देष देता है गणगौर।
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कुर्सी मैय्या कुर्सी बाप, कौन खेत की मूली आप” आज श्रेश्ठ व्यंगकार डा योगेन्द्र मणि जी के एक व्यंग की पे पंक्तिया काफ़ी देर जहन में घूमती रही फ़िर जो कुछ घूम रहा था उससे मैने इन दो पंक्तियो को इस तरह से बढाने की कोशिश की है कि कुर्सी मैय्या कुर्सी बाप,...
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कुर्सी मैय्या कुर्सी बाप, कौन खेत की मूली आप” आज श्रेश्ठ व्यंगकार डा योगेन्द्र मणि जी के एक व्यंग की पे पंक्तिया काफ़ी देर जहन में घूमती रही फ़िर जो कुछ घूम रहा था उससे मैने इन दो पंक्तियो को इस तरह से बढाने की कोशिश की है कि कुर्सी मैय्या कुर्सी बाप,
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यहां ऐसे ऐसे श्रेश्ठ गुरु बैठे हैं, जिनके बारे में कह सकता हूं कि जिसने कभी जीवन में एक बार भी संयम के व्रत को नहीं तोड़ा ऐसे सदाचारी तपस्वी लोग, शायद बहुत लच्छेदार न बोल पायें, मंच पर लम्बा भाशण न दे पायें, लेकिन उनकी उपस्थिति होना हमारे लिये बहुत बड़ा सौभाग्य की बात है ।
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संगीता जे जो लोग असफलताओं को या दुख को चुनौती के रूप मे लेते हैं सफल भी बाद मे वही होते हैं और आप तो कर्मनिष्ठ हैं एक बात पर मेरा अटूट विश्वास है जो मैने ज्योतिश करते हुये ही जाना है कि अदमी बुरे ग्रहों के लिये करम भी तभी कर सकता है अगर ग्रह इज़ाजत देते हैं कम होन हो तब फिर भी कर श्रेश्ठ साधन है आपके लिये शुभकामनाये आभार्
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दोस्त बात तो आप काँग्रेस की कर रहे थे पर टिप्पणियो मे बाते कहाँ से कहाँ तक उठ गयी एक आस्था दूसरे से श्रेश्ठ कैसे हो सक्ती है? मुझे लगता है हम और हमारी आस्था का सम्बन्ध अन्तरंग और अतिव्यक्तिगत है...अप्ना धर्म छोडो और हमारे मे आओ कहने वाले मानो जैसे अपने आस्था की ब्लुफ़िल्म बाँट रहे हों!रास्ता तुम्हे मिल गया है तो खुद जाओ जन्न्त भाई दूसरों का जीवन जहन्नुम क्यो बना रहे हो?.