प्राणायाम में तालयुक्त श्वासन क्रिया (सांस लेने व छोड़ने) में सफलता मिल जाने के बाद आप अपने हृदय पर हाथ रखे बिना ही तालयुक्त प्राणायाम कर सकते हैं।
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-सुप्त आसन की दूसरी स्थिति भी है-आसन की स्थिति में पहले की तरह पीठ के बल लेट जाएं और श्वासन क्रिया सामान्य रूप से करते हुए दोनों हाथों को कंधें की सीध में रखें।
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शरीर में दर्द हो, तो श्वासन में लेटकर लंबे-गहरे सांस धीरे-धीरे भरें व मन से प्राण वायु को दर्द के स्थान पर ले जाएं और यह भाव रखें कि प्राण शक्ति इस रोग को दूर कर रही है।
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शरीर में दर्द हो, तो श्वासन में लेटकर लंबे-गहरे सांस धीरे-धीरे भरें व मन से प्राण वायु को दर्द के स्थान पर ले जाएं और यह भाव रखें कि प्राण शक्ति इस रोग को दूर कर रही है।
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कपालभाति, ताड़ासन, उत्तानपाद आसन, पवनमुक्तासन, भुजंगआसन, शलभ आसन, उश्ट्रासन, गोमुखासन, प्राणायाम, धीमी गति से भरित्रका प्राणायाम उसके बाद श्वासन, कुंजल क्रिया से भी बहुत लाभ होता हैं और फिर ओम का जाप।