रोगी का प्लीहा बढ़ जाती है, उल्टी आती है और जी मिचलाती है, पतले दस्त या कब्जियत की भी समस्यास होती है, पेशाब में श्वेतसार या चीनी और खून आता है।
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जबकि ब्राज़ील के निवासी कॉइम, एक पारंपरिक पेय का व्यवहार करते है जो पूर्व-कोलंबियन समय से ही मैनिओक को चबाकर बनाए जाते रहे ताकि मानव-लार में मौजूद एंजाइम्स श्वेतसार को किण्वनीय शर्करा में तोड़ सके;
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इसमें पाए जाने वाले तत्वों में मुख्य रूप से कैल्शियम, सोडियम, क्लोरीन, फास्फोरस, लोहा, खनिज लवण, प्रोटीन, श्वेतसार, विटामिन ' ए ' एवं ' सी ' आदि उल्लेखनीय हैं।
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श्वेतसार सहज ही जल्दी पचकर शर्करा में बदल जाता है (अगर व्यक्ति मधुमेही टाइप 2 रोधी औषधि एक्रबोस का सेवन न करता हो तो, किन्तु वसा अथवा प्रोटीन साथ में लेने से पाचन क्रिया मंथर पद जाती है.
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जबकि ब्राज़ील के निवासी कॉइम, एक पारंपरिक पेय का व्यवहार करते है जो पूर्व-कोलंबियन समय से ही मैनिओक को चबाकर बनाए जाते रहे ताकि मानव-लार में मौजूद एंजाइम्स श्वेतसार को किण्वनीय शर्करा में तोड़ सके;[100] यह पेरू की मस्ताओं पद्धति के समान ही है.
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‘ शरीर में पाई जाने वाली बड़ी आंत के अन्दर कई प्रकार के जीवाणु होते हैं जो बिना पचे हुये ‘ श्वेतसार पदार्थों का खमीर बनाते हैं और बिना पचे हुए प्रोटीन पदार्थों का पूतीकरण करते हैं, जिसके कारण बहुत अधिक मात्रा में गैस बनती है।
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मनुष्य जिन विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थो का सेवन करता है, उन पदार्थो मे प्रमुख है-प्रोटीन, वसाएं तथा ‘ श्वेतसार। ये ‘ श्वेतसार पदार्थ ग्लूकोज जैसी ‘ शर्कराओं में बदल जाते हैं, वसाएं चर्बी-अम्लों में और प्रोटीन पदार्थ एमीनो अम्ल के रूप में बदल जाती है।
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जबकि ब्राज़ील के निवासी कॉइम, एक पारंपरिक पेय का व्यवहार करते है जो पूर्व-कोलंबियन समय से ही मैनिओक को चबाकर बनाए जाते रहे ताकि मानव-लार में मौजूद एंजाइम्स श्वेतसार को किण्वनीय शर्करा में तोड़ सके ; [100] यह पेरू की मस्ताओं पद्धति के समान ही है.
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उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में ख़ास कर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में ताड़ जैसे कई पेड़ हैं जिनके तने का गूदा गरीबों का भोज्य पदार्थ होता है. इनमे “ सागू पाम ” (Metroxylon Palms) के तनों के गूदे से प्राप्त होने वाला स्टार्च (श्वेतसार) साबूदाना बनाने के लिए प्रयुक्त होता है.
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चूंकि एक्राबोस एवं अन्य अल्प ग्लुकोसिडेस (अवरोधी औषधियां) श्वेतसार (स्टार्च) एवं अन्य शर्करा की मोनोसैकाराइड्स में खण्डित होने से रोकथाम करती हैं जो शरीर में शोषित हो सकता है, इन औषधियों का सेवन करने वाले रोगियों को मोनोसैकाराइड्स से युक्त आहार जैसे कि ग्लूकोज़ की गोलियां, मधु, या रस ग्रहण करना चाहिए ताकि रक्तशर्कराल्पता को विपर्यित कर दिया जाय.