इसके अलावा स्त्री में योनि में होने वाली खुजली, खूनी बवासीर का दर्द, गले में गांठ हो जाने के कारण सूजन आ जाना, अंडकोषों में कोई रोग हो जाना, पूरे शरीर की संकोचक पेशियों में दर्द होना आदि रोगों में भी ये औषधि लाभ करती है।
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बेल का पत्ता संकोचक, पाचक, त्रिदोष (वात, पित और कफ) विकार को नष्ट करने वाला, कफ नि: सारक, व्रणशोथहर (घाव की सूजन को दूर करने वाला), शोथ (सूजन) को कम करने वाला, स्थावर (विष) तथा मधुमेह (डायबिटीज), जलोदर (पेट में पानी का भरना), कामला (पीलिया), ज्वर (बुखार) आंखों से तिरछा दिखाई देना आदि में लाभ पहुंचाता है।