पर एक बात की ओर से यह बुद्धिजीवी-वर्ग सतर्क था | और वह बाटी थी-राजपूतों की योद्धिक मनोवृति और उनके लड़ाकू संस्कार | यह वर्ग जान गया था कि जब तक राजपूतों कि यौद्धिक श्रेष्ठता को समाप्त नहीं किया जाता तब तक अन्य सभी प्रकार के पतन क्षणिक है | अतएव उसने देशी राज्यों कि अन्य सैनिक और अर्द्ध-सैनिक जातियों का संगठन करना आरम्भ किया |