(ख):-पिंड को सामान्य स्तिथि से विशेष स्थिति में लाने के लिए भूतकाल में कार्य किया जा चूका होता है और यही कार्य पिंड में स्थतिज उर्जा के रूप में संचित रहती है, यह संचित ऊर्जा आने वाले समय में प्राप्त की जाती है ।
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सेकुलरिज्म की बहुत सही परिभाषा आपने प्रस्तुत की है, वास्तव में ' धर्म निरपेक्ष ' बड़ा ही घातक शब्द है, जो मनुष्य धर्म से निरपेक्ष हो जाए उसमें मनुष्यता रहेगी ही नहीं.... विवेकानंद जी ने कहा था ' धर्म का अर्थ कर्मकांड नहीं होता, वह हमारे हृदय की संचित ऊर्जा है जो सबके कल्याण के लिए उद्यम करती है।
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दूसरी ओर, संचित ऊर्जा को वाहन को चलाने में परिवर्तित करने में विद्युत् मोटरें दक्ष होती हैं, इलेक्ट्रिक चलित वाहन स्थिर अवस्था में अथवा खड़ी होने पर वे ऊर्जा क्षय नहीं करतीं, तथा ब्रेक लगाने से होने वाला ऊर्जा क्षय पुनरुत्पादित ब्रेकिंग के माध्यम से पुनः प्राप्त कर लिया जाता है, ऐसी व्यवस्था से ब्रेक लगाने से क्षय होने वाली ऊर्जा के पांचवे भाग तक को पुनः प्राप्त किया जा सकता है.
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उदाहरण के लिए व्यक्ति का जीवन 70 किलो है तो:-उसकी मूलभूत आवश्यकता 70 x 22 = 1540 कैलोरी शिथिल जीवन शैली 1540 + (1540 / 3) = 2055 कैलोरी साधारण जीवन शैली 1540 + (1540 / 2) = 2310 कैलोरी अत्यधिक श्रमयुक्त जीवन शैली 1540 + 1540 = 3080 कैलोरी यदि व्यक्ति आदर्श भार से अधिक वजन का है तो उसे उपरोक्त विधि से निकाली गई ऊर्जा से कम ऊर्जा का भोजन देते हैं, ताकि शरीर में संचित ऊर्जा खर्च की जा सके।