इसमें साहित्य रूप और सृजन-प्रक्रिया के संदर्भ, अँगरेज़ी की स्वच्छंद कविता, रोमान की वापसी, हलफ़नामा, कविता दोस्तों में बुलाने से नहीं आती नदी, मुक्तिबोध पर मोनोग्राफ़, कल और आज के बीच, लंबा मारग दूरी घर, कदाचित् संदर्शन प्रकाशित संग्रह हैं और यूरोप प्रवास पर एक डायरी, सामारुमा एवं अन्य कविता, समालोचना तथा नाटक की एक-एक अप्रकाशित कृतियाँ समादृत की जा रही हैं ।
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और भी बहुत लोगों के थे, पूर्णिमा वर्मन जी, प्रोफ़ेसर ऋषभदेव शर्मा जी, रामायण संदर्शन नाम से हमारे ही द्वारा संचालित एक और.... आदि ढेरों ब्लॉग थे. उन दिनों अक्षरग्राम की सेवा हुआ करती थी और सभी लोग उस पर अपनी चर्चाएँ व शंकाएँ, संसाधनों की जानकारी आदि से जुड़े मुद्दों पर संवाद आदि किया करते थे.... यह हमारे ब्लॉग उन दिनों की बात हैं.
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इसमें साहित्य रूप और सृजन-प्रक्रिया के संदर्भ, अँगरेज़ी की स्वच्छंद कविता, रोमान की वापसी, हलफ़नामा, कविता दोस्तों में बुलाने से नहीं आती नदी, मुक्तिबोध पर मोनोग्राफ़, कल और आज के बीच, लंबा मारग दूरी घर, कदाचित् संदर्शन प्रकाशित संग्रह हैं और यूरोप प्रवास पर एक डायरी, सामारुमा एवं अन्य कविता, समालोचना तथा नाटक की एक-एक अप्रकाशित कृतियाँ समादृत की जा रही हैं ।