रू. 50000/-से अधिक के प्रदत्त ऋण हेतु, संपार्श्विक प्रतिभूति जमीन का बंधीकरण/संस्वीकृत की गई लिमिट का दोगुणा मूल्य का चार्ज बना कर किया जाए।
32.
● फिर भी, जहाँ वेतन शाखा के माध्यम से दिया जाता है, रु 1 लाख तक का ऋण किसी संपार्श्विक प्रतिभूति के बिना दिया जाएगा।
33.
टिप्पणी-ऋण रकम के 25% तक अतिरिक्त संपार्श्विक प्रतिभूति यानी, संपत्ति, जीवन बीमा पॉलिसी, जमाएँ आदि उपलब्ध कराए जाने पर 0.50% तक रियायत दी जाएगी।
34.
यदि बैंक जरूरी समझे तो ऋण की प्रतिभूति के रूप में संपार्श्विक प्रतिभूति के लिए बीमा पॉलिसी को समनुदेशित अथवा ऐसे समनुदेशनीय वित्तीय लिखतें भी अपेक्षित होती हैं.
35.
ख) यदि ऋण-रकम के बराबर मूल्य की संपार्श्विक प्रतिभूति दी जाती है तो मासिक सकल वेतन का 10 गुना अथवा रु.5 लाख, इनमें से जो भी कम हो।
36.
संपार्श्विक प्रतिभूति यथा एनएससी / केवीआईसी, एलआईसी पॉलिसी, सोना, शेयर/डिबेंचर या अचल संपत्ति, बैंक जमाएँ जो या तो विद्यार्थी, माता-पिता/संरक्षक या अन्य व्यक्ति के नाम पर पर्याप्त मार्जिन सहित हों।
37.
ऋण की प्रतिभूति वित्तपोषित संपत्ति के प्रथम बंधक से की जाएगी, सामान्यतः हक विलेख और/ अथवा ऐसी अन्य संपार्श्विक प्रतिभूति जो भी जरूरी हो, को जमा किया जाता है.
38.
फिर भी, मामला दर मामला मंजूरीकर्ता प्राधिकारी अपने विवेकाधिकार के अनुसार जोखिम संभाव्यता को देखते हुए तीसरी पार्टी की गारंटी या कोई अन्य संपार्श्विक प्रतिभूति निर्धारित कर सकता है।
39.
नोट: यदि ऋण राशि के 50 % तक अतिरिक्त संपार्श्विक प्रतिभूति अर्थात् संपत्ति, एलआईसी पॉलिसी, जमा आदि प्रस्तुत की जाती है तो 0.50% की रियायत दी जाती है।
40.
जमा पर ऋण / संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में जमा स्वीकार करना: जमा पर ऋण नहीं दिया जाएगा और न ही जमा संपार्श्विक प्रतिभूति के रूप में स्वीकार्य होगी।