३-संप्राप्ति (पैथोजेनेसिस): किस कारण से कौन सा दोष स्वतंत्र रूप में या परतंत्र रूप में, अकेले या दूसरे के साथ, कितने अंश में और कितनी मात्रा में प्रकुपित होकर, किस धातु या किस अंग में, किस-किस स्वरूपश् का विकार उत्पन्न करता है, इसके निर्धारण को संप्राप्ति कहते हैं।
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निश्चित समय से पूर्व करना संप्राप्ति विचार या सुझाव देना अग्रानीत करना उन्नति होना दोस्ती / प्यार जताने की कोशिश बनो मत आगे बढ् प्रगमन अग्रिम राशि देना अग्रगामी अग्रिम देना निश्चित समय से पूर्व करना विकास होना अग्रानीत करना विकास होना अग्रगति दीर्घकालीन गतिशीलता बात बढाना अग्रसरना मूल्यवृद्धि विषय परिवर्तन करना/स्थान परिवर्तन करना अग्रसर होना आगे करना विकास करना सुझाव मरना अग्रगणि आगे लाना आगे बढ् प्रस्ताव विकास आगे बढ़ना[बढाना] अग्रिम राशि अग्रिम देना अग्रिम धन
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रोगस्तु दोषवैषम्यं विषम हुए ये दोष जब धातुओं को दूषित करते हैं, तब दोष दुष्य सम्मुर्च्छना हो व्याधि की उत्पत्ति होती है | दोषों को समावस्था में लाना और संप्राप्ति भंग कर व्याधि कानिराकरण करना ही चकित्सा है | इसलिए दोष विपरीत और व्याधि विपरीत चिकित्सा क्रम में अपनाना पड़ता है | रोगी एवं रोग की परीक्षा के लिए निदान फलक का अनुशीलन अतीव आवश्यक है यह जितना निर्दोष और सटीक होगा रोग विनिश्चित उसी अनुपान में दोष रहित हो सकेगी | रोग का निदान अचूक होने पर चिकित्सा विज्ञान का आविष्कार हुआ है |