कला की कदर कलाकार से है आप जैसे कला को जीवित रखते हैं आपका संमान आदर प्रसंशा मेरे अंदर से है शुभकामना आपके सफल और उज्जवल जीवन की. अशोक
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इनके विशिष्ट पांडित्य के संमान में इन्हें “तर्कवागीश” कहा जाता था, इन्होंने “तत्त्वचिंतामणि” पर “रहस्य” नामक टीका की रचना की है; सचमुच “रहस्य” के बिना तत्वचिंतामणि के अनेक स्थान रहस्य ही रह जाते हैं।
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18वीं शताब्दी में पहुँचकर ही सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक, दोनों रूपों में यह बात मान्य हो सकी कि तटस्थ राज्यों का यह कर्तव्य है कि वे तटस्थ या निष्पक्ष रहें और युद्धरत राज्यों का यह कर्तव्य है कि वे तटस्थ राज्यों के अधिकारक्षेत्र का संमान करें।
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18वीं शताब्दी में पहुँचकर ही सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक, दोनों रूपों में यह बात मान्य हो सकी कि तटस्थ राज्यों का यह कर्तव्य है कि वे तटस्थ या निष्पक्ष रहें और युद्धरत राज्यों का यह कर्तव्य है कि वे तटस्थ राज्यों के अधिकारक्षेत्र का संमान करें।
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कुछ लोग निजी स्वार्थ की वजह से भले ही उनकी आलोचना करते हों, पर दुनिया भर के लोग तो हमारे प्रधानमंत्री को एक सुलझे हुए राज-नेता के तौर पर, विकास की समझ रखने वाले विद्वान् के तौर पर और दृढ़ता से काम करने वाले के तौर पर ही जानते और संमान करते हैं।
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आरंभ से ही अपने प्रयत्नों के दौरान में मुझे इतनी असफलताएँ मिली हैं जो एक व्यक्ति को निराश ही नहीं बल्कि विद्रोही भी बना देने के लिए पर्याप्त थीं, पर मैं हताश नहीं हुआ हूँ और मुझे विश्वास है कि उस थोड़े से समय के भीतर ही, जब तक मै जीवित हूँ, सद्भावना, सचाई तथा संमान से परिपूर्ण स्वयात्त शासन की माँग को परिपूर्ण, करनेवाला संविधान भारत के लिए स्वीकार कर लिया जाएगा।
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आरंभ से ही अपने प्रयत्नों के दौरान में मुझे इतनी असफलताएँ मिली हैं जो एक व्यक्ति को निराश ही नहीं बल्कि विद्रोही भी बना देने के लिए पर्याप्त थीं, पर मैं हताश नहीं हुआ हूँ और मुझे विश्वास है कि उस थोड़े से समय के भीतर ही, जब तक मै जीवित हूँ, सद्भावना, सचाई तथा संमान से परिपूर्ण स्वयात्त शासन की माँग को परिपूर्ण, करनेवाला संविधान भारत के लिए स्वीकार कर लिया जाएगा।
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जब तक वे वज्जि अर्हतों और गुरु जनों का संमान करते हैं, उनकी मंत्रणा को भक्तिपूर्वक सुनते हैं ; जब तक उनकी नारियाँ और कन्याएँ शक्ति और अपचार से व्यवस्था विरुद्ध व्यसन का साधन नहीं बनाई जातीं, जब तक वे वज्जिचैत्यों के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखते हैं, जब तक वे अपने अर्हतों की रक्षा करते हैं, उस समय तक हे आनंद, वज्जियों का उत्कर्ष निश्चित है, अपकर्ष संभव नहीं।
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आरंभ से ही अपने प्रयत्नों के दौरान में मुझे इतनी असफलताएँ मिली हैं जो एक व्यक्ति को निराश ही नहीं बल्कि विद्रोही भी बना देने के लिए पर्याप्त थीं, पर मैं हताश नहीं हुआ हूँ और मुझे विश्वास है कि उस थोड़े से समय के भीतर ही, जब तक मै जीवित हूँ, सद्भावना, सचाई तथा संमान से परिपूर्ण स्वयात्त शासन की माँग को परिपूर्ण, करनेवाला संविधान भारत के लिए स्वीकार कर लिया जाएगा।
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सही दिशा निर्देश से रूप-रेखा तैयार होगी और इन सब से निकलकर आएगी हिंदी को अपनाने की अद्भ्य चाहत हिंदी को उच्च शिक्षा का माध्यम बनाना, तकनिकी क्षेत्र, विज्ञानं आदि क्षेत्रो में विस्तार देना हम भारतीयों का कर्तव्य बनता है क्योंकि हिंदी स्वंय ही बहुत वैज्ञानिक भाषा है हिंदी को उसका उचित स्थान, मान संमान और उपयोगिता से अवगत हम मिल बैठ कर ही कर सकते है इसके लिए इस प्रकार के मंच का होना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।