जो महिला में उपरोक्त गुन हो, माने कि जो स्त्री परिवार की कीर्ति बढानेवाली हो, लक्ष्मी जैसी मंगलकारी हो, जिसकी वाणी संयमशील और मृदु हो, तीव्र यादशक्तिवाली, बुध्धिशाली, धीरजवाली और क्षमाशील हो, वह स्त्री मेरा स्वरुप है ।
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अपने सभी द्वारों (अर्थात इन्द्रियों) को संयमशील कर, मन और हृदय को निरोद्ध कर (विषयों से निकाल कर), प्राणों को अपने मश्तिष्क में स्थित कर, इस प्रकार योग को धारण करते हुऐ।
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लेकिन उन्होंने किसी के कहने के मुताबिक संयमशील जिन्दगी जीना शुरू की, आहार-विहार पर नियंत्रण करना शुरू कर दिया और आजकल आप देखते हैं कि वे हिन्द केसरी के नाम से विख्यात हैं और फिल्मों में काम करते हैं।
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संयमशील को वासना, तृष्णा और अहंता की खाई पाटने में मरना-खपना नहीं पडता, इसलिये सदुद्धेश्यों की दिशा में कदम बढाने की आवश्यकता पडने पर स्वार्थ-परमार्थ साथ-साथ सधते रहते हैं और हॅसती-हॅसाती, हलकी-फुलकी जिन्दगी जीने का अवसर मिल जाता है।
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प्रश्न: गुरुदेव आप कहते हैं कि हमें संयमशील होना चाहिए, लेकिन मैं आपके प्रति ऐसे संयम-शाली कैसे बनूँ? मैं आपसे प्रेम करता हूँ और आपके प्रति मेरा लगाव दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है |
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अर्थात्-‘‘ जो श्रद्धावान् है, तत्पर-साधन परायण है तथा जितेन्द्रिय (परिपूर्ण संयमशील) है, वह मनुष्य ही ज्ञान को प्राप्त होता है तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद वह अविलम्ब ही तत्काल भगवत्प्राप्ति रूपी परमशान्ति को प्राप्त हो जाता है।
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एक वर्ग देवी-देवताओं का वह है, जो हमारे व्यक्तिगत जीवन पर बाएँ रहते हैं, जो हमको संयमशील बनाते हैं, श्रमनिष्ठ बनाते हैं परिष्कृत व्यक्तित्व वाला बनाते है, भावनाशील बनाते है, संस्कारवान बनाते हैं, साहसी बनाते हैं, इत्यादि।
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ब्रह्मचर्य पालन के विषय में आजीवन अविवाहित और अनानुभावी व्यक्तियों को छोड़ भी दीजिए तो भी भारतीय इतिहास में ऐसे दृढ़ व्रती और संयमशील व्यक्तियों के उदाहरणों की कमी नहीं है, जिन्होंने विवाहित और अनुभव प्राप्त होने पर भी अनुकरणीय काम संयम करके दिखला दिए ।।
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वह जानती थी कि यद्यपि संयमशील पुरुष बड़ी मुश्किल से फिसलते हैं, मगर जब एक बार फिसल गए, तो किसी तरह नहीं सँभल सकते, उनकी क्ुं + ठित वासनाएँ, उनकी पिंजर-बध्द इच्छाएँ, उनकी संयत प्रवृत्तिायाँ बड़े प्रबल वेग से प्रतिकूल दिशा की ओर चलती हैं।
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भाईसाहब, कोई वजह नहीं है केवल एक वजह है कि दूसरे प्राणी प्रकृति की प्रेरणा से संयमशील जीवन जीते हैं, मर्यादाओं में रहते हैं, कायदा-कानून मानते हैं, प्रकृति की आज्ञाओं का उल्लंघन नहीं करते और आदमी पग-पग पर उल्लंघन करता रहता है और असंयम बरतता रहता है।