मुझे लगता है यह बात तो सभी को स्वीकार्य होगी कि गालियाँ बोलने वाले के पक्ष में एक दबंगता का माहौल सृजित करती हैं-आक्रामकता प्रायः पुरुष के मूल अंग से संयुत गालियों के रूप में प्रगट हो उठती है..
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संयुत राष्ट्र संघ के महासचिव पद के लिये खड़े भी हुए थे वे तो उनकी पर्सनेलिटी का लाभ अौर उनके ताल्लुकात जो हैं पूरे विश्व के सब मूल्कों में इसका लाभ देश को मिले यह सोचकर उनको एक अवसर दिया था।
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विचार संसाधन सा जानिये, संयुत कुल परिवार |गाढ़े में ठाढ़े मिलें, बिना लिए आभार |बिना लिए आभार, कृपा की करते वृष्टी | दादा दादी देव, दुआ दे दुर्लभ दृष्टी |सच्चे रिश्ते मुफ्त, हमेशा भला इरादा |रखे सकल परिवार, सदा अक्षुण मर्यादा |
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बैसे में आपके आलेख के एक एक तर्क से पुर्णतः सहमत हूँ. बधाई ………………! ऐसा नहीं है की लोग संयुत परिवार में रहना नहीं चाहते, बल्कि मुझे लगता है की इंसान मज़बूरी में ही एकल परिवार बनता है! बढ़िया लेख
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संसाधन सा जानिये, संयुत कुल परिवार | गाढ़े में ठाढ़े मिलें, बिना लिए आभार | बिना लिए आभार, कृपा की करते वृष्टी | दादा दादी देव, दुआ दे दुर्लभ दृष्टी | सच्चे रिश्ते मुफ्त, हमेशा भला इरादा | रखे सकल परिवार, सदा अक्षुण मर्यादा |
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देवलोक से मिट्टी लाकर मैं मनुष्य की मूर्ति बनाता! रचता कर जो भूमि जोतकर बोएँ, श्यामल शस्य उगाएँ, अमित कला-कौशल की निधियाँ संचित कर सुख-शांति बढ़ाएँ, हिंस्र जंतु के नख से संयुत पंजे-सा वह कर बन जाता! देवलोक से मिट्टी लाकर मैं मनुष्य की मूर्ति बनाता!
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कुवैत की मुक्ति (अल-तहरीर अल-कुवैत) कुवैत के द्वारा प्रयुक्त शब्द है और साथ ही सऊदी अरब, बहरीन, इजिप्ट, और संयुत अरब अमीरात सहित गठबंधन बालों के अधिकांश अरब राष्ट्रीय सदस्यों के द्वारा भी इसी शब्द को प्रयुक्त किया जाता है.
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देवलोक से मिट्टी लाकर मैं मनुष्य की मूर्ति बनाता! रचता कर जो भूमि जोतकर बोएँ, श्यामल शस्य उगाएँ, अमित कला-कौशल की निधियाँ संचित कर सुख-शांति बढ़ाएँ, हिंस्र जंतु के नख से संयुत पंजे-सा वह कर बन जाता! देवलोक से मिट्टी लाकर मैं मनुष्य की मूर्ति बनाता!