करार आरंभ में दस वर्ष की अवधि के लिए वैघ रहेगा और उसके बाद अनिश्चित काल के लिए जारी रहेगा जब तक कि कोई एक संविदाकारी पक्ष करार समाप्ति के अपने इरादे का लिखित नोटिस नहीं दे देता।
32.
करार आरंभ में दस वर्ष की अवधि के लिए वैघ रहेगा और उसके बाद अनिश्चित काल के लिए जारी रहेगा जब तक कि कोई एक संविदाकारी पक्ष करार समाप्ति के अपने इरादे का लिखित नोटिस नहीं दे देता।
33.
परस् पर करार द्वारा:-जब संविदाकारी पक्ष इलक संविदा के स् थान पर नई संविदा लाने, या इसे रद्द करने या बदलने पर सहमत हो जाएं, तो मूल संविदा खत् म हो जाती है।
34.
करार आरंभ में दस वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा तथा तत्पश्चात यह अनिश्चित काल के लिए जारी रहेगा जब तक कि दोनों में से कोई एक संविदाकारी पक्ष करार समाप्ति के अपने इरादे की लिखित सूचना नहीं दे देता।
35.
प्रत् येक संविदाकारी पक्ष अपने राज् य-क्षेत्र में निवेश से संबंधित दूसरे संविदाकारी पक्ष के निवेशक की समस् त निधियों का मुक् त अन् तरण, करने की अनुमति देगा जो बिना अनुचित देरी किए और भेदभव रहित आधार पर किया जाएगा।
36.
प्रत् येक संविदाकारी पक्ष अपने राज् य-क्षेत्र में निवेश से संबंधित दूसरे संविदाकारी पक्ष के निवेशक की समस् त निधियों का मुक् त अन् तरण, करने की अनुमति देगा जो बिना अनुचित देरी किए और भेदभव रहित आधार पर किया जाएगा।
37.
संविदा भंग होना या निपटान न करना:-जब कोई संविदाकारी पक्ष निष्पादन करने से इंकार कर दे अथवा अपना वायदा पूरा करने में अक्षम हो तो प्रतिज्ञानी प्रथम पक्षकार द्वारा संविदा भंग करने के कारण संविदा का समाप्त कर सकता है।
38.
करार आरंभ में दस वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा तथा तत् पश् चात यह अनिश्चित काल के लिए जारी रहेगा जब तक कि दोनों में से कोई एक संविदाकारी पक्ष करार समाप्ति के अपने इरादे की लिखित सूचना नहीं दे देता।
39.
संविदा भंग होना या निपटान न करना:-जब कोई संविदाकारी पक्ष निष् पादन करने से इंकार कर दे अथवा अपना वायदा पूरा करने में अक्षम हो तो प्रतिज्ञानी प्रथम पक्षकार द्वारा संविदा भंग करने के कारण संविदा का समाप् त कर सकता है।
40.
जब कोई संविदाकारी पक्ष निष्पादन करने से इंकार कर दे या निष्पादन करने में अक्षम हो, तो इसका अर्थ संविदा-भंग करना होता है और प्रतिज्ञानी संविदा को परे हटा सकता है जब तक कि उसने ही अपने शब्दों या आचरण से उसे जारी रखने का इरादा न जताया हो।