और पक्ष-प्रतिपक्ष तथा संश्लेष का क्रम फिर चलता है, और तब तक चलता रहता है, जब तक अपूर्णता की स्थिति समाप्त न होकर पूर्ण प्रत्यय या परम प्रत्यय की स्थिति नहीं आ जाती।
32.
आरोप लगाने वाले कृपया ध्यान दें कि सांस्कृतिक संश्लेष न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि हिंदी भाषा की भी सबसे बड़ी विशेषता है और उसने विश्व की अनेक भाषाओं की शब्दावली को आत्मसात किया है।
33.
एक पूरे समाज के विविध आयामों के अनुभवों से जो संश्लेष तैयार होता है, सातत्य होता है और उसी अनुभव से स्वप्र पैदा होते हैं तथा उसी से लेखक, बड़ी रचना पैदा होती है।
34.
आरोप लगाने वाले कृपया ध्यान दें कि सांस्कृतिक संश्लेष न केवल भारतीय संस्कृति बल्कि हिंदी भाषा की भी सबसे बड़ी विशेषता है और उसने विश्व की अनेक भाषाओं की शब्दावली को आत्मसात किया है।
35.
उपयोग-मूल्य, द्रव्य, पण्य, पण्यों का रूप, विनिमय-मूल्य पण्यों में निहित श्रम का दोहरा स्वरूप पहली दृष्टि में पण्य दो चीजों-उपयोग-मूल्य और विनिमय मूल्य-के संश्लेष के रूप में हमारे सामने आया था.
36.
क्यों ऐसा होता है कि टकराव के बाद एक ऐसा सामाजिक संश्लेष पैदा होता है जो पहले के समाज से भिन्न और संघर्षरत दोनों तरह की शक्तियों की कल्पना से परे होता है?
37.
पर जहाँ तक चित्र प्रतिबिम्बहोता है, चित्र और चित्रित में, शब्द और अर्थ एक जैसा संश्लेष होता है औरइसी कारण मीमांसा के अभिप्राय से चित्र और चित्रित में शब्द और अर्थ जैसाविश्लेष भी किया जा सकता है.
38.
फिर भी कथ्य की व्यापकता और दृष्टि की उन्मुक्तता, ईमानदार अनुभूति का आग्रह, सामाजिक एवं व्यक्ति पक्ष का संश्लेष, रोमांटिक भावबोध से हटकर नवीन आधुनिकता से संपन्न भाव-बोध एक नए शिल्प को गढ़ता है।
39.
यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि समन्वय या संश्लेष की स्थिति आ जाने पर प्रारंभिक पक्ष और प्रारंभिक प्रतिपक्ष विनष्ट नहीं हो जाते, वस्तुतः अपने विरोध को खोकर दोनों इस समन्वय या संश्लेष का अंग बन जाते हैं।
40.
यहाँ यह स्मरण रखना चाहिए कि समन्वय या संश्लेष की स्थिति आ जाने पर प्रारंभिक पक्ष और प्रारंभिक प्रतिपक्ष विनष्ट नहीं हो जाते, वस्तुतः अपने विरोध को खोकर दोनों इस समन्वय या संश्लेष का अंग बन जाते हैं।