रामदेई की विनयता, नम्रता, सदाचारिता, उद्योगतत् परता, ज्ञान की अभिरुचि, सादगी और रंजायमान करने का स् वभाव देखकर नर्मदा को ऐसा मालूम पड़ता था कि, यह कोई विचित्र ही स् त्री है, इसलिये वह निरंतर उसके सहवास में रहना ही पसंद करती थी, और पढ़ना लिखना तथा और हजारों बातें सीखा करती थी।
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हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का ज्ञान, धैर्य, बहादुरी, उपासना, सदाचारिता एवं ईश्वरीय भय और एक वाक्य में यह कि आपका अध्यात्मिक व्यक्तित्व इस सीमा तक था कि आपके काल में किसी को भी आपके ज्ञान एवं अध्यात्मिक श्रेष्ठता में कोई संदेह नहीं था और इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम अपने समय में “ आलिमे आले मोहम्मद ” अर्थात हज़रत मोहम्मद के परिवार के ज्ञानी के नाम से प्रसिद्ध थे।