| 31. | इसमें से कुछ श्लोकार्थ यहाँ दिये जा रहे हैं-नारद जी! कुलीन, रूपवती और सनाथ युवतियाँ भी मर्यादा के भीतर नहीं रहतीं।
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| 32. | न उनकी मां है और न उनका बाप है, क् योंकि वह प्रेम ही नहीं है, जो उनको सनाथ बना दे।
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| 33. | हम आपसे पूछते हैं कि जिसने उस परम पिता से अपना सम्बन्ध नहीं बनाया क्या उसे आप “ सनाथ ” कहेंगे? ”
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| 34. | इसमें से कुछ श्लोकार्थ यहाँ दिये जा रहे हैं-नारद जी! कुलीन, रूपवती और सनाथ युवतियाँ भी मर्यादा के भीतर नहीं रहतीं।
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| 35. | 2. किसी भी विश्वासी शरणागत साधक को कभी भी अधीर नहीं होना चाहिए, कारण कि वह सनाथ है, अनाथ नहीं ।
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| 36. | राजकुमारी ने वाष्परुद्ध कण्ठ से कहा-इस अनाथिनी को सनाथ करके आपने चिर-ऋणी बनाया, और विह्वल होकर हम्मीर के अंक में सिर रख दिया।
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| 37. | भावार्थ:-फूलों की वर्षा करके देव समाज ने कहा-हे नाथ! आज (आपका दर्शन पाकर) हम सनाथ हो गए।
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| 38. | राजकुमारी ने वाष्परुद्ध कण्ठ से कहा-इस अनाथिनी को सनाथ करके आपने चिर-ऋणी बनाया, और विह्वल होकर हम्मीर के अंक में सिर रख दिया।
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| 39. | केवल भगवान ही अपने हैं, और कोई ही अपना नहीं है, ऐसा मानने से हमारा अनाथपन दूर हो जाएगा और हम सनाथ हो जायेंगे।
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| 40. | रंग-बहिरंग •अनाथ-सनाथ •अथ-इति •आदर-अनादर •अदेय-देय •अन्तरंग--बहिरंग •अंतर-बाह्य •अंशतः-पूर्णतः •अल्पकालीन-दीर्घकालीन •अल्पज्ञ-बहुज्ञ •अपेक्षित-अनपेक्षित •अधुनातन-पुरातन •अस्प
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