Youनिशा: तुकमारिया या सब्जा के बीज छोटे छोटे दाने होते हैं जो पानी में डालने के बाद फूल जाते हैं.
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जो पानी के मालिक हैं भारत पर उनका कब्जा है जहां न दे पानी वां सूखा जहां दें वहां सब्जा है
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फा रसी का एक शब्द है सब्ज: यानी सब्जा जिसका मतलब है हरी घास, हरियाली, हरे रंग का या सांवला।
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गालिब कहते हैं, ‘ उग आया है दरो-दीवार पे सब्जा गालिब, हम ब्याबां में हैं और घर में बहार आई है।
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जहां हिन्दू बाबा के चरणों में हार-फूल चढ़ाते, समाधि पर दूब रख अभिषेक करते हैं, वहीं मुस्लिम बाबा की समाधि पर चादर चढ़ा सब्जा चढ़ाते हैं।
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राजपथ यथावत पगडण्डी यथावत खड़न्जा यथावत।........................-उग रहा है दरो दीवार पे सब्जा ग़ालिब हम बयाबाँ में हैं औ ' घर में बहार आई है।
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दुबे जी के अंदर से आवाज आयी-' ' उग रहा है दरो-दीवार पर सब्जा गालिब / हम वीराने में हैं और घर पर बहार आयी है।
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चित्र लेते समय गालिब का एक शेर याद आ रहा था ” उग रहा है दर-ओ-दीवार पे सब्जा गालिब, हम बयांबां में है घर में बहार आई है।
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सवाल नम्बर 4 गोश्तखोरों से नबात यानि सब्जा खाने वाले बहुत डरते हैं और उनके पास नही जाते मगर इन्सान के पास सब आते हैं लेकिन इन्सान धोके से मार डालता है।
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आइये अब हम इन पौधों की गुन्वत्ताओं पर निगाह डालें-बबुई तुलसी-ये हमारे देश और विदेशों में जिन-जिन नामों से जानी जाती है वो इस तरह हैं-हिन्दी-बबरी, सब्जा, बबुई तुलसी ।