निम्न ज्वार-जब सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्र्मा समकोणिक अवस्था में होते हैं धरती पर स्थित सागरों के जल-स्तर का सामान्य-स्तर से उपर उठना ज्वार तथा नीचे गिरना भाटा कहलाता है।
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इस उपाय से ज्ञात हो गया है कि कंपन की दिशा ध्रुवण तल से समकोणिक होती है, अर्थात् ध्रुवक कोण पर परावर्तित किरण के कंपन आपात तल से समकोणिक होते हैं।
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इस उपाय से ज्ञात हो गया है कि कंपन की दिशा ध्रुवण तल से समकोणिक होती है, अर्थात् ध्रुवक कोण पर परावर्तित किरण के कंपन आपात तल से समकोणिक होते हैं।
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इस उपाय से ज्ञात हो गया है कि कंपन की दिशा ध्रुवण तल से समकोणिक होती है, अर्थात् ध्रुवक कोण पर परावर्तित किरण के कंपन आपात तल से समकोणिक होते हैं।
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इस उपाय से ज्ञात हो गया है कि कंपन की दिशा ध्रुवण तल से समकोणिक होती है, अर्थात् ध्रुवक कोण पर परावर्तित किरण के कंपन आपात तल से समकोणिक होते हैं।
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ध्रुवक कोण पर परावर्तित प्रकाश में कंपनों के आपात तल से समकोणिक होने का तात्पर्य स्पष्टत: यह है कि यदि आपाती किरण के कंपन आपात तल में हों, तो उसका परावर्तन ध्रुवक कोण पर बिल्कुल ही नहीं, होता।
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ध्रुवक कोण पर परावर्तित प्रकाश में कंपनों के आपात तल से समकोणिक होने का तात्पर्य स्पष्टत: यह है कि यदि आपाती किरण के कंपन आपात तल में हों, तो उसका परावर्तन ध्रुवक कोण पर बिल्कुल ही नहीं, होता।
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यह दीर्घावृत्तीय अथवा वृत्तीय कंपनों का पुन: दो समकोणिक सरल रेखात्मक कंपनों में विघटन कर देता है और पट्टिका को घुमाक यथोचित स्थिति में लाने से वह उनके कलांतर को घटा या बढ़ाकर 0 डिग्री या 180 डिग्री कर देता है।
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यह दीर्घावृत्तीय अथवा वृत्तीय कंपनों का पुन: दो समकोणिक सरल रेखात्मक कंपनों में विघटन कर देता है और पट्टिका को घुमाक यथोचित स्थिति में लाने से वह उनके कलांतर को घटा या बढ़ाकर 0 डिग्री या 180 डिग्री कर देता है।
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इसका कारण यह है कि इस प्रकार के आपतित प्रकाश में परस्पर समकोणिक, किंतु भिन्न आयामों (a और b) वाले दो अवयव कंपन होते हैं और जब q = ० की स्थिति में एक अवयव का आयाम (a) महत्तम होता है तब दूसरे का लोप हो जाता है और q = 90 डिग्री होने पर पहले आयाम का लोप होता है और दूसरा आयाम (= b) महत्तम हो जाता है।