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समतल ध्रुवित उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.अंशध्रुवित अथवा अध्रुवित प्रकाश से इस क्रिया द्वारा समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता, क्योंकि अंशध्रुवित प्रकाश अध्रुवि तथा समतल ध्रुवित प्रकाश का मिश्रण होता है और अध्रुवित प्रकाश का टूरमैलीन द्वार लोप कभी भी नहीं हो सकता।

32.किंतु जब समतल ध्रुवित प्रकाश, जिसका आयाम (a) है, टूरमैलीन में से होकर निकलता है तब वह ध्रुवित तो रहता है, परंतु उसका आयाम घटकर (a cos q) हो जाता है, जहाँ (q) टूरमैलीन की स्थिति का सूचक कोण है।

33.समतल ध्रुवित प्रकाश में कंपनों की दिशा का ज्ञान होने का कारणा इस दिशा का सकेत देने के लिए एक ध्रुवणतल की कल्पना की गई थी और उसकी परिभाषा यों दी गई थी: परावर्तन द्वारा प्राप्त पूर्णत: समतल ध्रुवित किरण का ध्रुवणतल उसका आयात तल (

34.समतल ध्रुवित प्रकाश में कंपनों की दिशा का ज्ञान होने का कारणा इस दिशा का सकेत देने के लिए एक ध्रुवणतल की कल्पना की गई थी और उसकी परिभाषा यों दी गई थी: परावर्तन द्वारा प्राप्त पूर्णत: समतल ध्रुवित किरण का ध्रुवणतल उसका आयात तल (

35.जिस प्रकार यह मालूम करने के लिए कि कोई प्रकाश समतल ध्रुवित है या नहीं और यदि है तो उसका ध्रुवणतल कौन-सा है, टूरमैलीन का उपयोग होता है, ठीक उसी तरह ध्रुवण उत्पन्न करने के उपर्युक्त सभी साधनों का उपयोग भी इस कार्य के लिए किया जा सकता है।

36.जिस प्रकार यह मालूम करने के लिए कि कोई प्रकाश समतल ध्रुवित है या नहीं और यदि है तो उसका ध्रुवणतल कौन-सा है, टूरमैलीन का उपयोग होता है, ठीक उसी तरह ध्रुवण उत्पन्न करने के उपर्युक्त सभी साधनों का उपयोग भी इस कार्य के लिए किया जा सकता है।

37.समतल ध्रुवित प्रकाश में कंपनों की दिशा का ज्ञान होने का कारणा इस दिशा का सकेत देने के लिए एक ध्रुवणतल की कल्पना की गई थी और उसकी परिभाषा यों दी गई थी: परावर्तन द्वारा प्राप्त पूर्णत: समतल ध्रुवित किरण का ध्रुवणतल उसका आयात तल (plane of incidence) होता है।

38.समतल ध्रुवित प्रकाश में कंपनों की दिशा का ज्ञान होने का कारणा इस दिशा का सकेत देने के लिए एक ध्रुवणतल की कल्पना की गई थी और उसकी परिभाषा यों दी गई थी: परावर्तन द्वारा प्राप्त पूर्णत: समतल ध्रुवित किरण का ध्रुवणतल उसका आयात तल (plane of incidence) होता है।

39.पट्टिकागंज-यद्यपि काच की पट्टिका से ध्रुवक कोण पर परावर्तित प्रकाश पूर्णत: ध्रुवित होता है, तथापि उस में से पारगमित प्रकाश कभी भी पूर्णत: ध्रुवित नहीं होता, वह केवल अंशत: ध्रुवित होता है, किंतु उत्तरोत्तर अनेक पट्टिकाओं में से पारगमित प्रकाश का ध्रुवण उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है और पट्टिकाओं की संख्या पर्याप्त हो जाने पर वह लगभग पूर्णत: समतल ध्रुवित हो जाता है।

40.4. पट्टिकागंज-यद्यपि काच की पट्टिका से ध्रुवक कोण पर परावर्तित प्रकाश पूर्णत: ध्रुवित होता है, तथापि उस में से पारगमित प्रकाश कभी भी पूर्णत: ध्रुवित नहीं होता, वह केवल अंशत: ध्रुवित होता है, किंतु उत्तरोत्तर अनेक पट्टिकाओं में से पारगमित प्रकाश का ध्रुवण उत्तरोत्तर बढ़ता जाता है और पट्टिकाओं की संख्या पर्याप्त हो जाने पर वह लगभग पूर्णत: समतल ध्रुवित हो जाता है।

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