[97] इसके बावजूद, समय के साथ-साथ ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों के बीच समतावाद को केन्द्रीय मूल्य के रूप में स्वीकार किया गया.
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ग्रेनविल हिक्स-यह अजीब है कि राजनैतिक रूप से सही (अवसरवादी) समतावाद बहुतेरे विद्वज्जनों के बौद्धिक दम्भ और उच्छिष्टवर्गवाद को आकर्षित करता है;
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इतने वाद हैं लेकिन राष्ट्रवाद, समतावाद क्यों नहीं? * नये मूल्य:-समस्यायें कम करनी हैं तो नये युग मूल्य अपनाने होंगे।
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-यह अजीब है कि राजनैतिक रूप से सही (अवसरवादी) समतावाद बहुतेरे विद्वज्जनों के बौद्धिक दम्भ और उच्छिष्टवर्गवाद को आकर्षित करता है ;
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पाश्चात्यीकरण, आधुनिकीकरण नवीन प्राविधिकी, समतावाद (एर्अलिटरिअनिस्म्), मानवतावाद (हुमननिटरिअनिस्म्) उदारतावाद (लिबेरलिस्म्), इत्यादि सभी विभिन्न समाजों में भिन्न दिशाओं में औरकभी-कभी तो विरोधीदिशाओं में भी कार्य किया है.
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उनमें “नैतिकता के लिए एक जुनून” था. इन प्यूरिटनवादी मूल्यों में शामिल था समतावाद के प्रति उनका समर्पण, शिक्षा, परिश्रम, बचत, ईमानदारी, संयम, दान और सामुदायिक भावना.
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उनमें “नैतिकता के लिए एक जुनून” था. [79] इन प्यूरिटनवादी मूल्यों में शामिल था समतावाद के प्रति उनका समर्पण, शिक्षा, परिश्रम, बचत, ईमानदारी, संयम, दान और सामुदायिक भावना.[80]
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फिर वह चाहे कमलेश्वर के कांग्रेसी साम्यवाद के माध्यम से प्रकट होता हो या राजेन्द्र यादव के जातिवादी समतावाद से या निर्मल वर्मा के हिंदूवादी आध्यात्म से।
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भारत देश जिसका संविधान समतावाद के सिद्धांत पर आधारित है, आज उस परिमाण में असमानतावाद का गवाह है जो औपनिवेशिक शासन के दौरान भी नहीं देखी गई।
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नियोलिथिक (और पेलियोलिथिक) समाजों की स्पष्ट निहित समतावाद की व्याख्या करने वाले सिद्धांतों का निर्माण किया गया है जिनमें से आदिम साम्यवाद की मार्क्सवादी अवधारणा सबसे उल्लेखनीय है.