भारत ने ही अनादि काल से समस्त संसार का मार्ग-दर्शन किया हैं ज्ञान और विज्ञान की समस्त धाराओं का उदय, अवतरण भी सर्वप्रथम इसी धरती पर हुआ पर यह यहीं तक सीमित नहीं रहा-यह सारे विश्व में यहाँ से फैल गया ।।
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सनातन धर्म के प्रसिद्ध पंडित नेकीराम शर्मा ने तेज अख़बार 17 फरवरी 1926 को इस आशय की कुछ ऐसे स्वीकार किया था-' जो धर्म कभी समस्त संसार का अद्वितीय और असीम धर्म था, आज वह सिकुड़ते सिकुड़ते कितने छोटे घेरे में परिमित कर दिया गया है।
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अत: उनकी अवज्ञा करके परमेश्वर की पूजा करना ग्रहणीय है.सब अनेक होकर भी एक हैं.अत: प्राणियो के प्रति वैर भाव को त्याग कर मित्र भाव से सर्वव्यापी परमात्मा का पूजन करना चाहिये.सर्वभूतो मे परमात्मा की सत्ता की अनुभूति ही श्रेयस्कर है.हमारे प्राचीन ऋषियों का जीवन ऐसा ही था.समिष्ट जीव के अज्ञानान्धकार को दूर करना और समस्त संसार का कल्याण करना उनका कर्तव्य था.
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अपने शब्दों की जादूगिरी के दम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, और लोगों के धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा रहे हैं …!! हाथी बैठा भी रहेगा तो घोडा गधा से ऊँचा रहेगा, भारत कितना भी गिर गया आज भी धार्मिक मामलों में समस्त संसार का बाप है … ' कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी '..
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समस्त संसार का कार्यभार उसने (स्त्री ने) अपने ऊपर ओढ़ लिया, पुरुष जो चाहे करता लड़ता, मरता, कटता, सोता, जागता, शिकार करता, आराम करता या गप्पें मारता, उसे (स्त्री को) तब तक कोई शिकायत न थी जब तक वह अपने कार्य को, जिसके लिए वह पैदा किया गया था, करता जाता।
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भारत जिसमें कभी तैंतीस कोटि देवता निवास करते थे, जिसे कभी स्वर्गादपि गरीयसी कहा जाता था, एक स्वर्णिम अतीत वाला चिर पुरातन देश है जिसके अनुदानों से विश्व-वसुधा का चप्पा-चप्पा लाभान्वित हुआ है | भारत ने ही अनादी काल से समस्त संसार का मार्गदर्शन किया है | ज्ञान और विज्ञान की समस्त धाराओं का उदय, अवतरण भी सर्वप्रथम इसी धरती पर हुआ ।
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अपने शब्दों की जादूगिरी के दम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं, और लोगों के धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा रहे हैं …!! हाथी बैठा भी रहेगा तो घोडा गधा से ऊँचा रहेगा, भारत कितना भी गिर गया है, लेकिन आज भी धार्मिक मामलों में समस्त संसार का बाप है … ' कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी '..