वे हैं-संधि संख्या 29-(बंधुआ मजदूर), संधि संख्या 1 ००-(समान पारिश्रमिक), संधि संख्या 1 ० 5-(बंधुआ मजदूरी की समाप्ति) और संधि संख्या 111-(रोजगार और पेश में भेदभाव की समाप्ति) ।
32.
उसके उद्देश्यों में महिलाओं के विकास के लिए सकारात्मक आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के माध्यम से ऐसा अनुकूल माहौल तैयार करना है जिससे महिलाएं अपनी क्षमता को साकार कर सकें तथा स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोजगार, समान पारिश्रमिक एवं सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठा सकें।
33.
ऑस्ट्रेलियाई सेवा संघ के लिए एक जीत में, कार्यस्थल न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया कि क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए, “वहाँ राज्य और स्थानीय सरकार रोजगार में कार्यकर्ताओं के साथ तुलना द्वारा समान या तुलनीय मूल्य के काम के लिए पुरुष और महिला श्रमिकों के लिए समान पारिश्रमिक नहीं है”.
34.
हिन्दू विवाह अधिनियम-1955, विशेष विवाह अधिनियम-1954, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम-1956, हिन्दू दत्तक पुत्र एवं अनुरक्षण अधिनियम-1956, बाल विवाह प्रतिरोध अधिनियम-1952, मातृत्व हितलाभ अधिनियम-1976, समान पारिश्रमिक अधिनियम-1976, कारखाना अधिनियम-1976, खान अधिनियम-1952, द मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी एक्ट-1971, दहेज निरोध अधिनियम-1961, अनैतिक व्यापार अधिनियम-1956, अपराध कानून में संशोधन-1983, परिवार न्यायालय, महिलाओं के प्रति अभद्र प्रस्तुतीकरण अधिनियम-1986, सती आयोग-1987 जैसे अनेकों अधिनियम बनाकर संविधान के अनुरूप महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाने और उनकी दशा में सुधार की रूपरेखा तैयार की गयी।