यहा पर इस कहानी का अन्त नही है पर इस से हमे व्यवसायिक और सामाजिक शिक्षा मिलती है कि हमे अपने सभी साथियो को समान समझना चाहिए।
32.
१. उस राजा को जीवित रहते हुए भी मृतक समान समझना चाहिए जिसके स्वयं या राज्य के अधिकारियों के सामने चीखती-चिल्लाती प्रजा डाकुओं द्वारा लूटी जाती है।
33.
कोई ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता तो न माने, परन्तु यदि वह संसार में सुख-शांति का साम्राज्य देखना चाहता है तो अन्य जीवों को भी अपने समान समझना पड़ेगा।
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कोई ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता तो न माने, परन्तु यदि वह संसार में सुख-शांति का साम्राज्य देखना चाहता है तो अन्य जीवों को भी अपने समान समझना पड़ेगा।
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कोई ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता तो न माने, परन्तु यदि वह संसार में सुख-शांति का साम्राज्य देखना चाहता है तो अन्य जीवों को भी अपने समान समझना पड़ेगा।
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मुझे यकीन नही हो रहा था कि ये इसी भारत के लोग हैं जिन्हें पल-पल ये सिखाया जाता है कि सभी धर्मों को समान समझना चाहिए और प्रत्येक इंसान कि धार्मिक भावना का सम्मान करना चाहिए।
37.
तिवाड़ी ने सरल भागवत् धर्म की व्या या करते हुए कहा कि प्रत्यके प्राणी को अपने समान समझना और अहम का त्याग कर समस्त कर्म भगवान के प्रति समर्पित करना ही सरल भागवत् धर्म है।
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मुझे यकीन नही हो रहा था कि ये इसी भारत के लोग हैं जिन्हें पल-पल ये सिखाया जाता है कि सभी धर्मों को समान समझना चाहिए और प्रत्येक इंसान कि धार्मिक भावना का सम्मान करना चाहिए।
39.
कभी किसी से कोई याचना या प्रतिग्रह न करना, जन समाज से दूर रहना, नारीवर्ग को दर्शन तक न देना, धन-परायण कुबेर तक को तृण के समान समझना आपके स्वाभाविक गुण थे।
40.
कभी किसी से को ई याचना या प्रतिग्रह न करना, जन समाज से दूर रहना, नारीवर्ग को दर्शन तक न देना, धन-परायण कुबेर तक को तृण के समान समझना आपके स्वाभाविक गुण थे।