हालत ये है कि पिछले हफ़्ते अंग्रेजी में समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण के तौर पर जो शब्द मेरे पुत्र को तीसरी कक्षा में याद करने को दिए थे वे इतने जटिल थे कि उनको देखने के लिए मुझे डिक्शनरी और नेट का सहारा लेना पड़ा।
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पहले तो हुंजज़ल जी का अतीव धन्यवाद करते हुए कहूंगा कि इतना ऊपर मुझे न पहुंचाएं, फिर ये-कि यदि ३-६ माह की भी सहमति न बन पाये तो एक और विकल्प है कि ३ माह रुककर देख लिया जाये, शायद ** में, या उनके स्वभाव में, या उन गुण / दोषों में बदलाव आ जाये, जिनके कारण ये विवाद उठ खड़ा हुआ है, या विरोधी दल (दल को गुटबंदी कदापि न समझा जाये मात्र एक समूहवाचक संज्ञा के रूप में लें) के विचार में बदलाव आ जाये।