श्रीरामचन्द्रजी, पहले आर्यों के संसर्ग से प्राप्त उपदेश, आचरण, शिक्षण और युक्ति द्वारा बुद्धि को बढ़ाना चाहिए, तदनन्तर आगे कहे जाने वाले महापुरुष के लक्षणों से अपने में महापुरुषता का सम्पादन करना चाहिए।
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सदानन्द का कार्य एकमात्र परमप्रभु वाले कार्यों का सम्पादन करना यानी ' सत्य धर्म का संस्थापना तथा उसका प्रचार-प्रसार करना तथा उसी के माध्यम सकल समाज को भगवन्मय बनाते हुये ' धर्म-धर्मात्मा-धरती ' की रक्षा करना-कराना अर्थात धरती को असत्य-अधर्म-अन्याय-अनीति विहिन बनाते-रहते हुये सत्य-धर्म-न्याय-नीति प्रधान बनाना-बनवाना ।
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कई प्रकाशनों को युनिकोड में पाठ परिवर्तित करने के बाद दुबारा प्रूफ रीडिंग व सम्पादन करना पड़ता है, क्योंकि 8-बिट फोंट से 16-बिट यूनिकोड में पाठ-परिवर्तन के दौरान कई गलतियाँ हो जाती है, हिन्दी 8-बिट फोंटों की जटिलताओं के कारण 100 % सही रूप में परिवर्तन सम्भव नहीं है।
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जल, वायु और अग्नि के संयोग से उत्पन्न वाष्प (भाप) के निरोध (रोकने) से अनेक क्रियाओं का सम्पादन करना ' कला ' है-[3] भोजदेव (वि 0 सं 0 1066-98) कृत ' समरांगण सूत्रधार ' के 31 वें अध्याय का नाम ही ' यन्त्रविधान ' है।
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डबराल जी भावुक हो चुके थे “ अगर इस ऊंट के पॉँच हाथ लंबे पाव और छ हाथ लम्बी गर्दन न होती तो मैं इसे आज अपने साथ बेडरूम में सोने का निमंत्रण देता ” डबिंग रूम में आज काफ़ी लोग थे मनीष अपने फीचर कमेरी का सम्पादन करना चाह रहा था थपलियाल जी मेरी स्क्रिप्ट पर विचारवान थे प्रदीप जी और रेनू को नरेशन देने थे और गफूर खान अपनी पार्टी के साथ दोहों को स्वर देने आया हुआ था।
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गौतम [376] ने व्यवस्था दी है कि कुत्तों, चाण्डालों एवं महापातकों के अपराधियों से देखा गया भोजन अपवित्र (अयोग्य) हो जाता है, इसलिए श्राद्ध कर्म कम घिरे हुए स्थल में किया जाना चाहिए ; या कर्ता को उस स्थल के चतुर्दिक तिल बिखेर देने चाहिए या कियी योग्य ब्राह्मण को, जो अपनी उपस्थिति से पंक्ति को पवित्र कर देता है, उस दोष (कुत्ता या चाण्डाल द्वारा देखे गये भोजन आदि दोष) को दूर करने के लिए शान्ति का सम्पादन करना चाहिए।