कि गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की नृत्य नाटिका पर आधारित सवाक फिल्म ‘नटीर पूजा ' की कहानी व पटकथा उन्होंने स्वयं लिखी थी और फिल्म का निर्देशन भी स्वयं ही किया था।
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दोस्तों आज ही के दिन (14 मार्च 1931) को भारत की पहली सवाक फिल्म आलम आरा बड़े परदे पर रिलीज़ हुई थी........ आइये जानते है कुछ इस फिल्म के बारे...
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सवाक फिल्म (स+वाक+फिल्म = आवाज के साथ फिल्म) या वाक्पट या बोलपट एक ऐसा चलचित्र होता है जिसमें किसी मूक फिल्म के विपरीत, छवि के साथ आवाज भी फिल्म पर अंकित होती है।
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इतिहास में किसी सवाक फिल्म का प्रथम सार्वजनिक प्रदर्शन 1900 में पेरिस में हुआ था, लेकिन इस प्रणाली को वाणिज्यिक रूप से एक व्यावहारिक रूप प्रदान करने में कई दशकों का समय लगा।
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इतिहास में किसी सवाक फिल्म का प्रथम सार्वजनिक प्रदर्शन 1900 में पेरिस में हुआ था, लेकिन इस प्रणाली को वाणिज्यिक रूप से एक व्यावहारिक रूप प्रदान करने में कई दशकों का समय लगा।
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सवाक फिल्म (स+वाक+फिल्म = आवाज के साथ फिल्म) या वाक्पट या बोलपट एक ऐसा चलचित्र होता है जिसमें किसी मूक फिल्म के विपरीत, छवि के साथ आवाज भी फिल्म पर अंकित होती है।
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पृथ्वीराज कपूर जो 1929 से फिल्मों में अभिनय कर रहे थे और जिन्होंने पहली सवाक फिल्म आलमआरा में भी काम किया था, अपनी लोकप्रियता के शिखर पर रहते हुए 1944 में पृथ्वी थियेटर्स के नाम से नाटकों के मंचन की संस्था बनायी।
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फिल्म ने भारतीय फिल्मों में फिल्मी संगीत की नींव भी रखी, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल ने कहा फिल्म की चर्चा करते हुए कहा है, “यह सिर्फ एक सवाक फिल्म नहीं थी बल्कि यह बोलने और गाने वाली फिल्म थी जिसमें बोलना कम और गाना अधिक था।
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एक्सेलसियर फिल्म कम्पनी ने शेक्सपीयर के नाटक ‘हैमलेट ' पर इसी नाम की एक मूक फिल्म हेमलेट (1928), सागर फिल्म कंपनी ने सोहराब मोदी के निर्देशन में (1935) में हिन्दुस्तान चित्र द्वारा किशोर साहू के निर्देशन में (1954) में भी सवाक फिल्म के रूप में निर्माण किया गया।
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पहली कामयाबी मिली आर्देशिर ईरानी को, जिन्होंने देश की प्रथम सवाक फिल्म ‘ आलमआरा ' बनायीं. 14 मार्च, 1931 को मुंबई के मैजिस्टिक सिनेमाघर में ‘ आलमआरा ' का प्रदर्शन किया गया. मास्टर विट्ठल, जुबैदा और पृथ्वी राज कपूर इस फिल्म के मुख्य कलाकार थे.